आंखें खुलते ब्रह्ममुहूर्त में श्रीराम
निराकार ईश्वर के दर्शन हों जायें,
दिन भर के लिये आभार अदा कर,
सर्व मंगल की कामनायें की जायें।
सबका दिन ख़ुशी भरा, मंगलमय हो,
मेरी विनती है हे प्रभु! मेरे जीवन में
सेवा, सतसंग, अनंत भक्ति, दया हो,
इस सेवक के जीने का यही ध्येय हो।
मेरी सोच मेरे विचार खुद को और
दूसरों को प्रोत्साहित करने वाले हों,
मेरी कल्पना मेरी कृतियाँ बन जीवन
व समाज को भी गौरव देने वाली हों।
सुख शान्ति से सारा जीवन रहने का
राज बता दूँ, कम खाना, ग़म खाना,
चरैवेति चलते रहना, पल पल बस
हँसते रहना, सबको प्यार देते रहना।
कोई कहाँ समझ पाएगा मैं क्या हूँ,
केवल मैं जानता हूँ मेरे मन में क्या है,
यद्यपि लोग कोशिश ज़रूर करेंगे,
बातें करेंगे व अन्दाजा भी लगाएँगे।
उँगली भी उठायेंगे, निंदा भी करेंगे,
रूकना नहीं है पथ पर जाना ही है,
अपनी आस्था पे विश्वास रखो,
श्रीराम के व्यक्तित्व पे नाज़ रखो।
आदित्य किसी की सोच व मंतव्य
उसका अपना है उससे नहीं डिगना है,
किसी की सोच से, क्या फ़र्क़ होगा,
अपनी सुख शान्ति क्यों भंग करना है।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) आउटसोर्सिंग कर्मियों की समस्याओं के समाधान और उन्हें समय से…
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम सभा कटहरा निवासी पप्पू साहनी की 14…
देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव…
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)l बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला सेवायोजन…
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)l तहसील बरहज के घाघरा नदी स्थित गौरा घाट पर मंगलवार को…
सांकेतिक फोटो @WhiteHouse वॉशिंगटन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के एक बयान…