
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा)। स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामायण पर की गई टिप्पणी का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। जहां कुछ लोगों की दलील है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का वक्तव्य रामायण पर गलत है वही बहुत सारे पिछड़े व दलित वर्ग के नेता, वकील,बड़े अधिकारी और आमजन स्वामी प्रसाद मौर्य के पक्ष में बोल रहे हैं ,साथ ही साथ उन्होंने जगह-जगह स्वामी प्रसाद मौर्य के पक्ष में पोस्टर और बैनर भी लगा रखा है।सोशल मीडिया प्लेटफार्म टि्वटर,फेसबुक,यूट्यूब पर तमाम वीडियो भी प्ले हो रहे हैं,इस पर आज स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके बताया कि हमेशा से ही पिछड़े वर्ग के लोगों को अपमानित किया जाता रहा है। उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि कदम कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर डॉo भीमराव अंबेडकर ने कहा था मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, लेकिन मैं हिंदू रहकर नहीं मरूंगा यह मेरे बस में है। फलस्वरूप 1956 में उन्होंने अपने दस लाख समर्थकों के साथ नागपुर में जाकर बौद्ध धर्म अपना लिया।इसी तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम जी द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद नंद मूर्ति का गंगाजल से धोना , तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास खाली करके जाने के पश्चात आवास में गोमूत्र और गंगाजल से शुद्ध करना ,यह सभी घटनाएं पिछड़े वर्ग व दलित वर्ग को अपमानित करने तथा नीचा दिखाने की साजिश है, जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और करते रहेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि ये ही नहीं वर्तमान राष्ट्रपति कोविंद को सीकर के ब्रह्मा मंदिर में प्रवेश न देना यह शुद्र होने का अपमान नही तो क्या है ?

इस प्रकार के सभी बातों को बताते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यदि यही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा पिछड़ा और दलित वर्ग एक होकर अपने सम्मान के लिए लड़ेगा । उन्होंने आगे कहा की इस प्रकार कदम कदम पर पिछड़ा व दलित वर्ग को अपमान सहना पड़ता है वह अपमानित होना पड़ता है जो कि गलत है। मेरा विरोध और टिप्पणी सिर्फ इसलिए है भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो,और जिस भी किताबों या जहाँ भी संविधान तहत दिए गए समानता के अधिकारों का हनन हो रहा है उसे बदलना चाहिए, संविधान द्वारा लागू समानता का अधिकार सबको मिले ,हमारी लड़ाई इतनी सी ही है।
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