August 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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धनखड़ के इस्तीफे के बीच फिर चर्चा में आया सेवानिवृत्ति वाला बयान

JNU कार्यक्रम में बोले थे- “अगस्त 2027 में ईश्वरीय कृपा से हो जाऊंगा सेवानिवृत्त”

नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक और अप्रत्याशित इस्तीफे ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके इस कदम को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच एक पुराना वीडियो फिर से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वे अपनी सेवानिवृत्ति की योजना के बारे में बात कर रहे हैं।

यह वीडियो 10 जुलाई को दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित एक कार्यक्रम का है। इसमें एक श्रोता के सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति धनखड़ कहते हुए नजर आ रहे हैं, “मैं सही समय पर सेवानिवृत्त हो जाऊंगा। मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में ईश्वरीय कृपा से सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।”

इस बयान में उन्होंने अपने कार्यकाल की नियत समाप्ति तिथि का हवाला दिया था। 74 वर्षीय जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। उनका कार्यकाल 5 साल का था, जो अगस्त 2027 तक चलने वाला था।

हालांकि, उन्होंने इससे पहले ही व्यक्तिगत कारणों, विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। गृह मंत्रालय को इसकी औपचारिक सूचना भेज दी गई है और जल्द ही आधिकारिक अधिसूचना जारी होने की संभावना है।

धनखड़ के इस अचानक फैसले से सियासी गलियारों में नए संभावित उपराष्ट्रपति के नामों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। वहीं JNU कार्यक्रम का वायरल वीडियो यह संकेत देता है कि उन्होंने शायद इस तरह के कदम की सार्वजनिक चर्चा पहले ही कर दी थी, भले ही उस वक्त इसका आशय भविष्य की सामान्य सेवानिवृत्ति से रहा हो।
धनखड़ लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे हैं। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं और एक अनुभवी वकील तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। ऐसे में उनका यह इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है।
अब सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के समक्ष नया उपराष्ट्रपति चुनने की चुनौती है। क्योंकि राज्यसभा के सभापति के तौर पर उपराष्ट्रपति की भूमिका संसद की कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद JNU कार्यक्रम में दिया गया यह बयान एक बार फिर बहस का विषय बन गया है – क्या यह पहले से तय था, या फिर यह केवल संयोग है?