
बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। बलिया पुलिस पर पत्रकारों के उत्पीड़न और स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रांतीय मुख्य महासचिव मधुसूदन सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि बलिया पुलिस पत्रकारों के खिलाफ एक “विरोधी अभियान” चला रही है। पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है। इसी क्रम में बाँसडीह कोतवाली क्षेत्र की एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण की खबर प्रकाशित करने पर पत्रकार राजू गुप्ता को प्रताड़ित किया जा रहा है। पत्रकार महासंघ के अनुसार, बाँसडीह कोतवाली प्रभारी संजय सिंह ने 18 जुलाई 2025 को जिला एवं सत्र न्यायालय बलिया के बाहर राजू गुप्ता को गालियां दीं, जान से मारने की धमकी दी और थाने ले जाकर पिटाई करने की बात कही। पत्रकार राजू गुप्ता ने 17 जुलाई को बलिया कोतवाली में आवेदन देकर अपने परिवार की सुरक्षा और न्याय की गुहार लगाई थी। प्रेसवार्ताओं में भेदभाव के आरोप पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि बलिया पुलिस ने पत्रकारों के दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। एक ग्रुप के पत्रकारों को सवाल न पूछने की शर्त पर प्रेसवार्ताओं में बुलाया जाता है, जबकि दूसरे ग्रुप के पत्रकारों को केवल प्रेस नोट भेजकर नजरअंदाज किया जा रहा है। पत्रकार राजू गुप्ता ने जब ‘पीड़ित ही बना आरोपी’ शीर्षक से खबर प्रसारित की, तो पुलिस ने उन पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी। ‘बलिया में अघोषित आपातकाल’ पत्र में कहा गया है कि बलिया में पत्रकारिता करना दिनों-दिन कठिन होता जा रहा है। थानेदार बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति के सीधे न्यायालयों में जा रहे हैं, जो कि कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। पत्रकार महासंघ ने मुख्यमंत्री से बलिया पुलिस की ‘निरंकुशता’ पर अंकुश लगाने और पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न को रोकने के आदेश जारी करने की अपील की है।
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