
शुभ दीपावली पर रंगीन मिठाइयों से करें परहेज कहीं रंग में भंग ना कर दें मिलावटी मिठाईयां
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
त्योहारों का सीजन है। शुभ दीपावली में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं। ऐसे में लोग तमाम तैयारियों में जुट गए हैं। बाजारों में रंग-बिरंगी लाइट्स, रंगोली के रंग, दीपक, मोमबत्ती आदि देखने को मिल रही है। दीपावली मिठाइयों का त्योहार है। घर-घर में मिठाइयों की डिमांड है। इसलिए बाजार में खूबसूरत रंगीन मिठाइयां बिक रही हैं। देखने में भले ही यह बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है।इस अवसर पर सभी देशवासियों को धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पर्व की शुभकामनायें देते हुए मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ उमेश शर्मा, राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक अरविन्द कुमार पुष्कर एडवोकेट,वरिष्ठ समाजसेवी चंद्र वीर सिंह फौजदार और वरिष्ठ समाजसेवी ब्रह्मचारी जैसावत ने संयुक्त रूप से बताया कि त्योहारी सीजन चल रहा है। दीपावली मिठाइयों का त्योहार है। बाजार में मिठाइयों की नई-नई दुकानें सज गई हैं। धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और फिर छठ पर्व नजदीक है। इस समय मिठाई की मांग काफी बढ़ जाती है। ऐसे में मांग के अनुरूप उपभोक्ताओं को आपूर्ति संभव नहीं हो पाती है और अधिक से अधिक मुनाफे के लिए अक्सर मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। क्योंकि त्योहार पर हम सभी एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर ख़ुशियों की बधाई देते हैं। लेकिन इन ख़ुशियों पर ग्रहण तब लग जाता है, जब आप मिलावटी मिठाइयों का सेवन अनजाने में कर बैठते हैं। मिलावटखोर त्योहार में मांग का फायदा उठाकर सेहत से खेल करने की सम्भावना रहती हैं। जबकि मिलावटखोरी आमजन के जीवन से खिलवाड़ है। त्योहारी सीजन शुरू है,ऐसे मिठाईयों की मागं बढ़ जाने से मिलावटखोरों के सक्रिय होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, तमाम चीजों से अलग इस समय बाजार की मिठाई का सेवन आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। दरअसल, किसी भी त्योहार के समय खासकर दिवाली पर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अधिकतर दुकानदार दूध, घी यहां तक कि मावा और ड्राई फ्रूट्स तक में भी मिलावट करने लगते हैं। खानपान की इन चीजों में वे ऐसे पदार्थ मिला देते हैं, जिनकी खुली आंखों से पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। वहीं, पेट में जाने के बाद ये चीजें सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं। ऐसे में कोशिश करें कि इस साल त्योहार पर आप इन मिलावटी मिठाइयों से पू्री तरह दूरी बना लें। उन्होंने बताया कि अगर मिठाई में कोई दूसरा खाद्य पदार्थ डालकर उसकी गुणवत्ता को कम किया गया हो जैसे मावे की बर्फी में फैट कम होना, रसगुल्ले में मावे के अलावा दूसरा खाद्य पदार्थ मिलाना आदि शामिल हो। अगर मिठाई में कोई केमिकल या रंग की मात्रा अधिक मिलती है तो उसे इंसान के लिए अनसेफ माना गया है। पीला रंग मिठाइयों में ज्यादा मिलाया जाता है। जोकि असर में मेटानिल एलो होता है। इसके खाने से अल्सर जैसी बीमारी हो जाती है, जोकि काफी घातक होती है। मिठाइयों में हरी मिठाई भी काफी दिखाई देती है। दुकानकार उनकी शुद्धता की गारंटी लेते हैं लेकिन असल में यह रंग मैलाकाइट ग्रीन होता है, और इसे ज्यादा खाने पर कैंसर जैसी बीमारी हो सकती हैं। जगह जगह लाल और नारंगी रंग की मिठाई तो बहुत ही ज्यादा दिखती है। इसमें रोडामीन होता है। इसका पाचन तंत्र पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक की तंत्रिका तंत्र पर भी यह रंग असर डालता है। इसलिए हमारी अपील हैं कि त्यौहारी सीज़न में रंगीन मिठाईयों से दुरी बनाएं।
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