फसलों की समस्या के निदान हेतु व्हाट्सएप/एसएमएस के माध्यम से पाएं समाधान
कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ0 मेनका ने बताया कि खरीफ की बुआई / रोपाई का कार्य हो चुका है। वर्तमान में वातावरण में नमी व तापमान के अधिकता से कई तरह के रोग एवं कीट लगने की सम्भावना बढ़ जाती है, जैसे कि धान की फसलों में तना छेदक, हरा भूरा एवं सफेद पीठ वाला फुदका और पत्ती लपेटक कीट दो सूड़ी प्रति पौधा दृष्टिगोचर होने पर 5 से 10 ट्राइकोकार्ड प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। रासायनिक नियन्त्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० 1.5 लीटर या क्यूनालफास 25) प्रतिशत ई०सी० 1.5 लीटर अथवा मोनोकोटोफास 36 प्रतिशत एस0एल0 की 1.25 लीटर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500 1 से 600 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करते हुए फसल की साप्ताहिक निगरानी करनी चाहिए।
धान में जीवाणु झुलसा रोग परिलक्षित होने पर यथासम्भव खेत का पानी निकालकर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम अथवा कापर आक्सी क्लोराइड की 500 ग्राम मात्रा को 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करें। भिण्डी में फल बेधक कीट की रोकथाम हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा 2 से 3 कार्ड को प्रति एकड़ फलन साप्ताहिक अन्तराल पर प्रयोग करें। अन्य सब्जियों एवं फसलों में कीटों के रोकथाम हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत 2.5 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर 8 समय 10 दिन के अन्तराल पर स्प्रे करने से कीटों का नियंत्रण तो होता ही है, साथ ही वातावरण एवं फसल संसाधन पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि गन्ने की फसल में पाइरिल्ला कीट के परजीवी एपीरिकेनिया मेलेनोल्यूका को संरक्षण प्रदान करना चाहिए, परजीवी कीट की पर्याप्त उपस्थिति से कीटों की स्वतः रोकथाम हो जाती है। गन्ने में कीटों के रासायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई०सी० की 2 लीटर मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करना चाहिए।
फसलों में कीट तथा बीमारी के समाधान हेतु सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली योजना के तहत 9452257111 पर व्हाट्सएप एवं एस०एम०एस० के माध्यम से फसल समस्या प्रेषित कर 48 से 72 घण्टे के अन्दर समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
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