कुछ लोग ग़ज़ब के होते थे,
वे जानते थे जीना कैसे है,
और मौत सामने आए जब,
तब फिर मरना उनको कैसे है।
कोटि कोटि नमन मेरा है उनको,
आज जन्मदिन उनका पावन है,
नाम पंडित चन्द्र शेखर आज़ाद,
जो हो गये शहीदे वतन भारत हैं।
एक दिन सरदार भगतसिंह ने
हंसते हुए कहा, “पंडित जी,
आपके लिए अंग्रेजों को दो
रस्सियों की जरूरत पड़ेगी।
एक आपकी मोटी कमर के लिए
और दूसरी आपकी गर्दन के लिए,
बोले आज़ाद सुनो भगत! रस्सा-
फस्सा तुम लोग अपने लिए रखो।
मेरे पास जब तक यह ‘बमतुल
बुखारा’ यानी उनकी पिस्टल है,
तब तक कोई भी अंग्रेज बहादुर
आज़ाद को छू भी नहीं सकता है।
पंद्रह गोलियां उन पर दागूंगा,
सोलहवी से खुद को उड़ा लूंगा,
पंडित जियेगा तो भी आज़ाद,
आदित्य मरूँगा तो भी आजाद।
कौन सच्चा कौन झूठा, क्यालिखकर बतला पाऊँगा ?ख्याल आता है कभी, क्याबहती गंगा में हाथ…
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