बिना शर्त राज्यकर्मी के दर्जा की प्राप्ति को लेकर किया था विधानसभा घेराव
पटना ( राष्ट्र की परम्परा)
परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ, पूर्वी चम्पारण के जिलाध्यक्ष सूर्यकांत पाठक ने कहा कि प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक, पुस्तकालयाध्यक्षों व शारीरिक शिक्षकों की एकमात्र मांग राज्य कर्मी का दर्जा को लेकर लाखों शिक्षक आकस्मिक अवकाश लेकर संवैधानिक तरीके से गर्दनीबाग, पटना पहुंचकर शांतिपूर्ण ढंग से मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया था। तत्क्षण सदन मे सत्ताधारी दल और प्रतिपक्ष के विधायकों व विधान पार्षदों ने मुखर रूप से पूर्व से बहाल नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की आवाज बुलंद की थी, जिसपर सरकार की ओर से सकारात्मक पहल करते हुए उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वित्त मंत्री विजय चौधरी ने सदन के सदस्यों को आश्वस्त कराया था कि ,सत्र समाप्ति के पश्चात मुख्यमंत्री स्वयं शिक्षक नेताओं से वार्ता कर नई अध्यापक नियमावली 2023 का रिव्यू कर समस्याओं का हल निकालेंगे। तब जाकर शिक्षक संघ ने आंदोलन स्थगित किया था।
जिला महासचिव विनोद कुमार पाण्डेय ने बताया कि सरकार के सकारात्मक पहल से शिक्षकों के बीच अच्छा संदेश गया था। लेकिन समूचे बिहार भर मे प्रदर्शनकारी शिक्षक नेताओं और शिक्षकों पर दंडात्मक कार्रवाई का पत्र जारी होने से शिक्षकों मे भारी रोष उत्पन्न हो रहा है।
पाण्डेय ने कहा कि शिक्षक संवैधानिक तरीके से आकस्मिक अवकाश लेकर अपने अधिकार की लड़ाई के लिए पटना गये थे, जो उनका मौलिक अधिकार है। आखिर सरकार एवं उनके विभागीय पदाधिकारी इसे गलत कैसे करार कर सकते है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी मृत्युंजय ठाकुर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि अविलंब इस तरह के अलोकतांत्रिक कृत्य पर रोक लगाई जाये।
ठाकुर ने कहा कि बिहार विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली 2023 प्रकाशित होने के बाद से ही संघ लगातर बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा को लेकर आंदोलनरत है। नियमावली संसोधन को लेकर संघीय स्तर पर सरकार से पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन सरकार द्वारा शिक्षक संघों को अबतक बातचीत के लिए आमंत्रित नही किए जाने पर सरकार को सूचित कर पटना प्रशासन से अनुमति लेकर मानसून सत्र के दौरान 11 जुलाई को शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा के समक्ष विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया ,जो हम सबों का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे मे शिक्षा विभाग प्रदर्शनकारी शिक्षक नेताओं और शिक्षकों पर नियम विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई कर शिक्षकों के गुस्से को भड़काने का कार्य कर रही है। देश संविधान से चलता है और संविधान के तहत हर नागरिक और कर्मचारियों के प्रदत्त अधिकारों को कुचलने का मतलब है संविधान की अवमानना।
ठाकुर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है। दुर्भावना से ग्रसित होकर धरना-प्रदर्शन मे सामिल होने वाले नेतृत्वकर्ताओं को टारगेट कर, बिना वजह नोटिस भेजकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। जब नियम कानून के तहत आंदोलन या धरना-प्रदर्शन किया गया फिर ऐसे नोटिस का कोई मतलब नही है।
लखनऊ।(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) रामस्वरूप विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने…
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)।जनपद देवरिया के सलेमपुर विधानसभा क्षेत्र स्थित सलेमपुर डॉक बंगला (सिंचाई…
अटरिया /सीतापुर(राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। नेशनल हाईवे पर बुधवार को एक तेज़ रफ़्तार कार ने…
पांच माह की गर्भवती होने पर खुला राज — आरोपी गिरफ्तार सांकेतिक फोटो अटरिया/सीतापुर (राष्ट्र…
डॉ. डी.के. पाण्डेय ने बताया देवरिया में लगेगा निःशुल्क चिकित्सा शिविर देवरिया (राष्ट्र की परम्परा…
प्रवीण कुमार यादव की रिर्पोट देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) जनपद के देवरिया दक्षिणी वार्ड नंबर…