ढाका (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नया भू–राजनीतिक समीकरण तेजी से आकार लेता दिख रहा है। बांग्लादेश में पिछले वर्ष सत्ता परिवर्तन के बाद से उसकी विदेश नीति में अहम बदलाव दिखाई दे रहा है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के नेतृत्व में बांग्लादेश अब भारत से दूरी बनाकर पाकिस्तान और चीन के करीब जाता दिखाई पड़ रहा है।
बुधवार को इसका संकेत तब मिला जब बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित क्षेत्रीय गठबंधन में शामिल होना “कूटनीतिक रूप से संभव” है। इस प्रस्तावित समूह में भारत शामिल नहीं होगा।
तौहीद के अनुसार, हालांकि नेपाल और भूटान के इस तरह के गठबंधन का हिस्सा बनने की संभावना बहुत कम है।
पाकिस्तान की नई रणनीति क्या है?
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने हाल ही में दावा किया था कि पाकिस्तान–चीन–बांग्लादेश त्रिपक्षीय गठबंधन की तैयारी चल रही है। डार ने यह भी संकेत दिया था कि बाद में इस समूह का विस्तार कर अन्य देशों को भी जोड़ा जा सकता है।
यह रुख विशेष रूप से अगस्त 2024 के बाद दिखाई देने लगा, जब शेख हसीना के देश छोड़ने और यूनुस की अंतरिम सरकार के आने के बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ रक्षा, व्यापार और कूटनीति से जुड़े रिश्तों को तेज गति से मजबूत किया।
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चीन की भूमिका: दक्षिण एशिया में भारत-विरोधी ध्रुव?
चीन लंबे समय से दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को कम करने की कोशिश करता रहा है। इसी रणनीति के तहत चीन ने जून 2024 में कुनमिंग में त्रिपक्षीय सचिव-स्तरीय बैठक आयोजित की थी, जिसमें चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अधिकारी शामिल हुए थे।
इसी बैठक के बाद यह चर्चा तेज हुई कि चीन और पाकिस्तान मिलकर एक नया क्षेत्रीय गठबंधन तैयार कर रहे हैं—जो सार्क (SAARC) का विकल्प बन सकता है।
क्योंकि सार्क में भारत सबसे प्रभावशाली देश रहा है, इसलिए पाकिस्तान को इस मंच पर ज्यादा सफलता नहीं मिल पाती। 2016 के उड़ी हमले के बाद सार्क की प्रमुख बैठकें ठप पड़ गईं और तब से संगठन लगभग निष्क्रिय ही है। पाकिस्तान और चीन ने इसी स्थिति का फायदा उठाकर भारत को अलग-थलग करने की कोशिशें तेज की हैं।
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बांग्लादेश क्यों झुक रहा है पाकिस्तान की ओर?
विशेषज्ञों के अनुसार, शेख हसीना के हटने के बाद बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा बदली है। अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ कई नीतिगत स्तरों पर संवाद बढ़ाया है।
कभी पूर्वी पाकिस्तान में हुए अत्याचारों के लिए पाकिस्तान की आलोचना करने वाला बांग्लादेश अब उसी देश के साथ नए रणनीतिक रिश्ते बना रहा है—और इस पूरी प्रक्रिया में चीन पर्दे के पीछे सबसे सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
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