प्रशासन में मचा हड़कंप
जांच के आदेश, विपक्ष ने साधा निशाना
शव के पानी से चल रहा था इलाज? देवरिया मेडिकल कॉलेज की लापरवाही से दहला शहर
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। महर्षि देवरहवा बाबा मेडिकल कॉलेज में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया जब कॉलेज की पांचवीं मंजिल पर स्थित पानी की टंकी से एक अज्ञात व्यक्ति का सड़ा हुआ शव बरामद हुआ।
सूत्रों के अनुसार, कॉलेज परिसर में पिछले कई दिनों से तेज़ बदबू आ रही थी। जब सफाई कर्मचारियों ने पानी की टंकी का ढक्कन खोला, तो अंदर एक शव तैरता हुआ दिखाई दिया। यह वही पानी था जो कॉलेज परिसर में पीने और अन्य उपयोगों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
घटना की जानकारी मिलते ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। कोतवाली पुलिस , सीएमएस, चिकित्सकगण और प्रशासनिक अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और शव को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की गई।
मंगलवार को सीडीओ, सीआरओ, सदर सीओ, सदर कोतवाल सहित भारी पुलिस बल ने कॉलेज पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और स्थिति की जानकारी ली। टंकी को सील कर दिया गया है और पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
🧾 राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज़
घटना ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है।जहाँ कुछ भाजपा नेताओं ने डीएम पर तंज कसते हुए कहा कि “उन्हें reels बनाने से फुर्सत नहीं है,” वहीं कुछ ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि “वे जनता की वेदना समझने वाली पहली डीएम हैं।”
वहीं, समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व राज्यसभा सदस्य कनक लाता सिंह ने मेडिकल कॉलेज की स्थिति पर तीखी टिप्पणी की —
♦️ “देवरिया मेडिकल कॉलेज की स्थिति बहुत ही दयनीय है।”
♦️ “यह मेडिकल कॉलेज नहीं, बल्कि ‘रेफर मेडिकल कॉलेज’ बन गया है।”
♦️ “मेडिकल कॉलेज के सभी प्रशासनिक कर्मचारियों और प्राचार्य को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।”
♦️ “यह कॉलेज खुद वेंटिलेटर पर अंतिम सांस ले रहा है, और इसका स्लो पॉइजन अब देवरिया की जनता को भी घुट-घुट कर मार रहा है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि
“टंकी में शव कैसे पहुंचा? सुरक्षा व्यवस्था कहाँ थी? और क्या यह पानी मरीजों व स्टाफ द्वारा पीने में इस्तेमाल हो रहा था?”
⚖️ प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला अधिकारी ने कहा है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रकार की लापरवाही या अपराध पाया गया, तो जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
🔍 स्थानीय नागरिकों में भय और आक्रोशइस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और मरीजों के परिजनों में भारी आक्रोश और चिंता व्याप्त है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर यही पानी अस्पताल में पीने और उपयोग करने में आ रहा था, तो कितनी बड़ी स्वास्थ्य आपदा टल गई।
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