गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) सेवा पखवाड़ा ने इस बार भक्ति, सेवा और संगीत की अनोखी त्रिवेणी को जीवंत कर दिया। दिग्विजय नाथ स्मृति सभागार में हुए भजन-संवाद कार्यक्रम ने न सिर्फ युवाओं को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा से जोड़ने का प्रयास किया बल्कि समाज सेवा की नई प्रेरणा भी दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ संत-महात्माओं और अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पण से हुआ। इसके बाद स्वयंसेवकों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। संतों ने अपने प्रवचनों में कहा कि सेवा केवल सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह आत्मा की साधना और सच्ची पूजा है। उन्होंने युवाओं से आधुनिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कारों और परंपराओं को संजोने का आह्वान किया।
मुख्य अतिथि और प्रख्यात संगीत विद्वान आशुतोष विश्वकर्मा ने कहा कि भजन और संगीत आत्मा और परमात्मा के बीच जोड़ने वाला सेतु है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेवा से समाज मजबूत होता है और संगीत से मन को शांति मिलती है। दोनों का संगम जीवन को सार्थक बनाता है। उनकी भजन प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
छात्रा पूजा प्रजापति की मधुर आवाज़ ने भी कार्यक्रम को और अधिक सुरम्य बना दिया। संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. निधि राय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पीयूष सिंह ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ. जितेन्द्र कुमार पाण्डेय समेत सभी इकाइयों के स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं मौजूद रहे।
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