
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। भारतीय जनता पार्टी, संत कबीर नगर के जिला सभागार में जिलाध्यक्ष नीतू सिंह की अध्यक्षता में संविधान निर्माता, भारत रत्न बाबा डॉ० भीमराव रामजी आम्बेडकर के सम्मान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी मुख्य अतिथि प्रभारी मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम रही। मुख्य अतिथि श्रीमती गौतम ने बाबा साहेब के चित्र पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही जिलाध्यक्ष नीतू सिंह ने मुख्य अतिथि एवं सभी मंचासीन जनप्रतिनिधि व पदाधिकारीगणों का स्वागत अभिनन्दन करते हुए बाबा साहेब को नमन किये।
संगोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रभारी मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम ने संविधान शिल्पी बाबा साहेब के जीवनी के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भीमराव रामजी आम्बेडकर जी, डॉ० बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलितों से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरूद्ध अभियान चलाया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री रहे। भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। कांग्रेस के कटु आलोचना के बावजूद आम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी। जिसके कारण जब 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो उसने आम्बेडकर को पहले कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को डॉ. आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। डॉ. आम्बेडकर एक बुद्धिमान संविधान विशेषज्ञ थे, उन्होंने लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था। आम्बेडकर जी को “भारत के संविधान का पिता” कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने भारतीय संविधान लिखकर भारत को एक अच्छा देश बनाया।
क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय ने कहा कि बाबा साहब का तीन नारा था- शिक्षा, संघर्ष एवं संगठन । उन्होंने हमेशा हर घर के बच्चों को शिक्षित बनना तथा हर किसान खुशहाल रहे, साथ में पिछड़ों व दलितों के शिक्षा पर बहुत जोर दिया। जिसे आज भी हमारी मोदी सरकार कर रही है।
श्री राय ने कहा कि वर्ष 1956 में डॉ. आम्बेडकर के मृत्यु के बाद दिल्ली स्थित उनके निवास को राष्ट्रीय स्मारक बनाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे खारिज कर दिया। अंततः यह मोदी सरकार थी जिसने 2016 में इस स्मारक की आधारशिला रखी और 2018 में इसका उद्घाटन हुआ।
विधायक अंकुर राज तिवारी ने कहा कि कांग्रेस ने नेहरू गांधी परिवार के लिए विशाल स्मारक बनवाने की प्राथमिकता दी। जिसमें प्रत्येक को लगभग 50 एकड़ भूमि समर्पित की गई। जबकि डॉ. भीमराव आम्बेडकर की स्मृति को लम्बे समय तक उपेक्षित रखा गया। भारत के संविधान और सामाजिक न्याय सुधारों में डॉ. आम्बेडकर के अद्वितीय योगदान के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें उचित सम्मान देने से इंकार किया। नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान डॉ.आम्बेडकर को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया। 1990 में श्री वी0पी0 सिंह के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार सत्ता में थी जिसे भाजपा का समर्थन प्राप्त था। तब डॉ. आम्बेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इस अवधि में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से संसद भवन में डॉ० आम्बेडकर का चित्र स्थापित किया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में नीतू सिंह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा डॉ. भीमराव आम्बेडकर से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थलों को “पंच तीर्थ” के रूप में विकसित किया । जन्मभूमि (महु मध्य प्रदेश), शिक्षा भूमि (लंदन), दीक्षाभूमि (नागपुर), महापरिनिर्वाण भूमि (दल्ली ) एवं चैत्य भूमि (मुंबई) के साथ साथ अनेकानेक मोदी सरकार द्वारा की गई योजनाओं के बारे में बताया।
कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालन अनुसूचित मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजू राणा ने किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जिला महामंत्री गणेश पांडेय, दीपू सिंह, ज्ञानेंद्र मिश्र, हैप्पी राय, गौरव निषाद, ई अरुण गुप्ता, अत्रेश श्रीवास्तव के साथ भाजपा मंडल अध्यक्ष एवं निवर्तमान मंडल अध्यक्ष, अनुसूचित मोर्चा व जनजाति के जिला एवं मंडल के सभी पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।
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