February 5, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

ख़ुशी

बुढ़ापा ! आयेगा नहीं जनाब,
बुढ़ापा आ गया है पूरी तरह,
मानो या ना मानो पर चिंता,
मत करो अब भी हँसते रहो।

चिंता चिता से बढ़कर है,
उसे प्रश्रय देना ही नहीं है,
दुश्वारियाँ कितनी क्यों न हों,
ख़ुशी से बढ़कर कुछ नहीं है।

पुष्प जैसा खिलना मुस्कुराना,
मुस्कुराकर सारे ग़म भुलाना,
लोगों से मिलना, खुश होना,
बिना मिले ही दोस्ती निभाना।

प्रेम से बोलो ख़ुशियाँ मिलेंगी,
ख़ुशियों से जीना आसान होगा,
परिवार समाज खुशहाल होगा,
जीवन का मक़सद सुगम होगा।

विश्वास दर्पण की तरह होता है,
तोड़े तो पहले जैसा रूप नहीं,
जोड़े तो पहले जैसा अक्स नहीं,
विश्वास नहीं, जीना आसान नहीं।

जीवन में सफलता सदा संघर्ष
और अनुभव के बाद ही आती है,
और अनुभव जीवन में आये उतार
व चढ़ाव के बहाने से आता है।

दिमाग़ को पढ़ाना अच्छा होता है,
पर दिल को सदा अनपढ़ रखना,
आदित्य दिल द्वारा भावनाओं से
कोई हिसाब किताब नहीं करना।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’