श्रमिक हमारे राष्ट्र की नींव एवं निर्माता : प्रो० रजनीश पटेल
संविधान निर्माताओं का योगदान महत्वपूर्ण: कुलपति
गोरखपुर विश्वविद्यालय में संविधान दिवस समारोह का दूसरा दिन
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। गोरखपुर विश्वविद्यालय में जारी तीन दिवसीय संविधान दिवस समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया। इस अवसर पर विश्विद्यालय के विधि विभाग द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह के दूसरे दिन मुख्य अतिथि प्रोo रजनीश कुमार पटेल (लॉ स्कूल, बी एच यू ), प्रो० पूनम टंडन, कुलपति, सतीश चंद्र त्रिपाठी जी (आचार्य पी आर त्रिपाठी के ज्येष्ठ पुत्र), एवं प्रो० जितेंद्र मिश्रा (कोऑर्डिनेटर बी.ए. एल-एल. बी., समन्वयक, संविधान दिवस समारोह) ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर और मां शारदे के तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।
बीएएलएलबी प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर और समारोह के कन्वीनर प्रो० जितेंद्र मिश्रा ने सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों को पुष्प-गुच्छ और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रो० जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि श्रमिकों के पसीने का मूल्यांकन वातानुकूलित कमरे में बैठ कर जब तक लगाया जाता रहेगा तब तक श्रमिकों और नीति निर्माताओं और उनकी नीतियों के बीच का फासला खत्म नहीं होगा। इस अवसर पर उन्होंने आचार्य स्वर्गीय पी आर त्रिपाठी जी के जीवन पर प्रकाश डाला। विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो० अहमद नसीम ने कहा कि संविधान अपनाने के बाद ही हम प्रजा से नागरिक बने । उन्होंने कहा कि संविधान दिवस के इस अद्भुत समारोह को आयोजित कर हमारा भारत पूरी दुनिया को ये संदेश दे रहा है कि हमारा संविधान सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि एक जीवन्त दस्तावेज है। समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करते हुए बी.एच.यू. लॉ स्कूल के प्रो० रजनीश कुमार पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि श्रमिक हमारे राष्ट्र निर्माता है इनकी उपेक्षा राष्ट्र की उपेक्षा समझी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योगपति सिर्फ अपनी पूंजी लगाते हैं मगर श्रमिक अपनी पूरी ज़िंदगी उन फैक्ट्रियों को समर्पित कर देते हैं। 2001 से 2010 के बीच गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे डॉ रजनीश पटेल ने कहा कि श्रमिक कानून एक जीवन्त कानून हैं उसे सिर्फ किताबें पढ़ कर जान पाना संभव नहीं ।
उन्होंने “श्रमिकों के अधिकार: गरीबी बनाम समृद्धि” विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि श्रमिक कोई वस्तु नहीं वो भी हमारी तरह मनुष्य हैं और जहां गरीबी रहेगी वहां पर समृद्धि संभव नहीं। उन्होंने कहा कि समृद्धि पाने के लिए अच्छी शिक्षा के साथ पैसा भी एक जरूरी साधन है। गरीबी हटाने के लिए हमें अपने श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा साथ ही उन्हें उचित मजदूरी की लड़ाई में सहयोग भी करना होगा। श्रमिकों को इस समय अभी न्यूनतम पारिश्रमिक दी जा रही है हमें उसे उचित मज़दूरी तक ले जाना होगा । प्रो० रजनीश ने पंडित नेहरू की बातों को रेखांकित करते हुए कहा कि विकासशील देश में श्रम के पहिए निरंतर चलते रहने चाहिए इसके लिए ट्रेड यूनियन और उद्योगपतियों के बीच सामंजस्य बनाना होगा ।
प्रो० रजनीश ने श्रमिक अधिकार को मानव अधिकार घोषित करने की आवाज उठाई। प्रो० पटेल ने जस्टिस कृष्णाअय्यर की बातों को उल्लेखित करते हुए कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की व्याख्या शब्दकोशों की तानाशाही में बंध कर नहीं की जानी चाहिए। इस अवसर पर विधि विभाग के सहायक आचार्यों के द्वारा विधि के विभिन्न क्षेत्रों में लिखी गई किताबों का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया । जिसमें डॉ० सुमनलता चौधरी की पुस्तक “जेनरल प्रिंसिपल्स ऑफ कॉन्ट्रैक्ट एक्ट”, डॉ टी एन मिश्रा एवं डॉ वंदना सिंह की किताब “साइबर लॉ एंड इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी”, डॉ ओ पी सिंह एवं डॉ टी एन मिश्रा की किताब ‘मोहम्मडन लॉ’, तथा डॉ शैलेष कुमार सिंह की पुस्तक “लेक्चर्स ऑन कांस्टीट्यूशनल लॉ” का विमोचन किया गया। विभिन्न प्रतियोगीतों के विजेताओं को किया गया सम्मानित: समारोह के पहले दिन आयोजित विभिन्न प्रतियोगियों के विजेताओं को सम्मानित किया गया जिसमें पोस्टर मेकिंग, स्पीच कॉम्पिटिशन, रंगोली प्रतियोगिता और मूट कोर्ट के प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया । समारोह की अध्यक्षता कर रहीं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० पूनम टंडन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उनके योगदान को रेखांकित किया । उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय विविधता और लिंग समानता का अदभुत उदाहरण पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने सभी विजेताओं को बधाई दी और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। स्वर्गीय आचार्य पीआर त्रिपाठी के ज्येष्ठ पुत्र प्रो० सतीश चंद्र त्रिपाठी ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० पूनम टंडन, मुख्य अतिथि प्रो० रजनीश कुमार पटेल और सभी विशिष्ट अतिथियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। आचार्य पी आर त्रिपाठी मेमोरियल लेक्चर को संविधान दिवस समारोह पर आयोजित करने के लिए विधि संकाय के अध्यक्ष प्रो० अहमद नसीम और समारोह के कन्वीनर प्रो० जितेंद्र मिश्रा के अथक प्रयासों की सराहना करते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सभागार में उपस्थित विशाल जनसमूह के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विद्यार्थियों के अनुशासन की सराहना की।
अंत में राष्ट्रगान के साथ समारोह के दूसरे दिन के कार्यक्रम का समापन हुआ। रंगोली प्रतियोगिता
प्रथम स्थान – सचिन, रजनीश, स्वाति, निकिता, चांदनी (दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय)
द्वितीय स्थान – वैष्णवी शर्मा, सुहानी मोदनवाल, मुस्कान चौरसिया, अनुष्का चौधरी, श्रेया मिश्रा ( दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय)
तृतीय स्थान -गणेश वर्मा, उमा वर्मा, तमन्ना खातून, जाहिदा खातून (नेशनल पीजी कॉलेज बड़हलगंज)
पोस्टर प्रतियोगिता
प्रथम स्थान – उत्कर्ष मिश्रा (बी.ए. एलएल.बी., गोरखपुर विश्वविद्यालय)
द्वितीय स्थान – खुशबू राजभर (बी.ए., गोरखपुर विश्वविद्यालय)
तृतीय स्थान – अपर्णा सिंह (बी.ए. एलएल. बी., आई. टी. एम., गीडा)
भाषण प्रतियोगिता
(हिंदी)
प्रथम स्थान – अंजलि उपाध्याय (आई. टी. एम., गीडा)
द्वितीय स्थान – दीपिका उपाध्याय (नेशनल पीजी कॉलेज, बड़हलगंज)
तृतीय स्थान – सृष्टि तिवारी (सेंट जोसफ कॉलेज, गोरखपुर)(अंग्रेजी)
प्रथम स्थान – दिव्यांशी मिश्रा (एल एल.बी., गोरखपुर विश्वविद्यालय)
द्वितीय स्थान – इरीशा सिंह (बी.ए.एलएल.बी., गोरखपुर विश्वविद्यालय)
तृतीय स्थान – दिव्या ओझा (बी.ए.एलएल. बी., गोरखपुर विश्वविद्यालय)
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