वर्षों से खाली पड़ा है अंत्येष्टि स्थल की 99 डिसमिल भूमि, निर्माण न होने से ग्रामीणों को होती है काफी परेशानियां
अंत्येष्टि हेतु शवों को ले जाना पड़ता है कुशीनगर के खड्डा के पास पनियहवां
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। शासन की मंशा थी कि ग्रामीण क्षेत्र में खेत, खलिहान व नहरों किनारे जलाए जाने वाले शवों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने और शवदाह के लिए बेहतर व्यवस्था देने के लिए अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया जाए। पर्यावरण की सुरक्षा के दृष्टिगत जहां ग्राम पंचायतों में अंत्येष्टि स्थल का निर्माण का प्राविधान किया जा रहा है, वहीं सिंदुरिया में वर्षों से अंत्येष्टि स्थल की 99 डिसमिल भूमि खाली पड़ी है। इस भूमि पर शवदाह गृह, शांति स्थल, स्वच्छ शौचालय, स्नान घर एवं लकड़ी घर का निर्माण न होने से पिछले कई वर्षों से यहां एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। ग्रामीण लंबा सफर तय करने के बाद त्रिमुहानी या पनियहवां स्थित अंत्येष्टि स्थल पर शव को ले जाकर अंतिम संस्कार करने को विवश हैं। ग्रामीणों ने प्रत्येक जनप्रतिनिधियों से चुनाव के दौरान अंत्येष्टि स्थल की सुविधा दिलाने की मांग की, लेकिन आश्वासन तो मिला पर हुआ कुछ नहीं। इस सम्बन्ध मे बीडीओ राहुल सागर ने बताया की यह मामला डीपीआरओ से सम्बंधित है।सिंदुरिया के ग्राम प्रधान केशव यादव ने बताया कि ग्राम सभा की भूमि पर अंत्येष्टि स्थल निर्माण के प्रस्ताव की प्रक्रिया चल रही है बजट मिलने पर शीघ्र निर्माण करा दिया जायेगा।
More Stories
ट्रक और डबल डेकर बस की जोरदार टक्कर में पांच की मौत
सिटीजन फोरम की पहल, हिंदी की पाठशाला कार्यक्रम आयोजित
जयंती की पूर्व संध्या पर दी गई मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि