गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय ग्रीष्मकालीन योग कार्यशाला विषय ’योग एवं आजीविका’ मे सोमवार को योग प्रशिक्षण के पाँचवे दिन भी प्रतिभागियों की काफी संख्या रही। योग प्रशिक्षण डा. विनय कुमार मल्ल के द्वारा दिया गया। योग प्रशिक्षण में लगभग 60 लोगों ने भाग लिया। जिसमे स्नातक, परास्नातक आदि के विद्यार्थी एवं अन्य लोग सम्मिलित हुए।
सायं आनलाइन माध्यम से योग एवं शोध विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत के साथ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र जी के द्वारा हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. प्रांगेश मिश्र, गुरु श्रीगोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ, गोरखपुर रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि योग विद्या अनादि है। योग विद्या ईश्वर द्वारा प्रवर्तित है। यह निरंतर चली आ रही है। गीता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कर्म की कुशलता को योग कहा जाता है। उन्होंने हठयोग के 6 अंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस आनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा मुख्य वक्ता एवं समस्त श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, शोध अध्येता हर्षवर्धन सिंह, डॉ. कुंवर रणंजय सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल आदि उपस्थित रहे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के आचार्य सहित प्रिया सिंह आदि जुड़े रहे।
गोरक्षनाथ शोधपीठ में द्वितीय जिला स्तरीय योगासन खेल प्रतियोगिता का शुभारम्भ
महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में योग कार्यशाला के साथ ही द्वितीय जनपद स्तरीय योगासन प्रतियोगिता का शुभारम्भ भी किया गया। इस प्रतियोगियता में विभिन्न प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को समापन समारोह के साथ पुरस्कार वितरित किया जाएगा।
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