November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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सीता अग्निपरीक्षा, चारों भाइयों का मिलन व राज्यभिषेक देख श्रोता मंत्रमुग्ध

मुंगराबादशाहपुर/ जौनपुर (राष्ट्र की परम्परा)
नगर के गुड़ाहाई में चल रही ऐतिहासिक रामलीला में गुरुवार को सत्रहवें दिन की लीला में विभीषण का लंका की गद्दी पर बैठना, सीता जी की अग्नि परीक्षा, भगवान राम के अयोध्या वापस आने, भगवान राम के राजतिलक आदि मनोहारी दृश्यों का मंचन किया गया, जिसे देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।
अंतिम दिन के पहले दृश्य में भगवान राम ने लक्ष्मण व अन्य से कहा कि वे विभीषण को लंका का विधिवत रूप से महाराजा बना दें। जब सीता वापस आती हैं और रामचंद्र के चरण स्पर्श करती हैं तो भगवान राम कहते हैं कि वह पहले अग्नि परीक्षा दें, उसके बाद ही वह उन्हें स्वीकार करेंगे। लक्ष्मण जी सीता के लिए चिता तैयार करते हैं और सीता अग्नि परीक्षा देती हैं, तत्पश्चात रामचंद्र उन्हें पुन: स्वीकार करते हैं और अपने भाइयों, परम सेवक हनुमान व अन्य के साथ अयोध्या आते हैं। 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर राम के अयोध्या लौटने पर अयोध्यावासी खुशी से झूम उठते हैं और मंगल गीत गाते हैं। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से रामचंद्र का राजतिलक हुआ और उसके बाद राज्याभिषेक किया गया।
सीता की अग्नि परीक्षा वाला रामायण का एक विवादित प्रसंग है। कहा जाता है कि रावण का संहार कर के और सीता को उस के चंगुल से छुड़ा लेने के बाद, राम सीता की पवित्रता पर संदेह करते हुए उसे पुनः स्वीकार करने से मना कर देते हैं। अतः अपनी पवित्रता की साक्षी देने के लिए सीता अग्नि में कूद जाती है, जहाँ अग्नि देव उसे बचाते हैं और वह आग से जले बिना वापस आती है। स्वर्ग से सभी देवता राम को सीता की पवित्रता का प्रमाण देने आते हैं और इस तरह राम सीता को वापस स्वीकारते हैं। इस किस्से को लेकर बहुत सी विचार धाराएं प्रचलित हैं। परंपरा वादियों के लिए यह राम द्वारा समाज में उचित व्यवस्था और आदर्श उत्पन्न करने के लिए किया गया कार्य है। रावण द्वारा हर ली गई सीता दरअसल उसकी छाया मात्र थी और असल सीता, अग्नि में छिपी हुई थी। इसलिए छाया रुपी सीता के अग्नि के अन्दर जाते ही असल सीता प्रकट हो गई। इस अवसर पर निर्देशक लालबहादुर सिंह, महंत संगमलाल गुप्ता, अध्यक्ष पशुपतिनाथ गुप्ता, कोषाध्यक्ष, आकाश गुप्ता, क्रांति गुप्ता सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।