

तहसील क्षेत्र के आम जनता पर राजस्व कर्मीयों से उठा विश्वास
भाटपार रानी /देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के भडसर ग्राम सभा में विगत दिनों सरकारी चक मार्ग पर अवैध अतिक्रमण किए जाने का आरोप लगने पर पैमाईश फोर्स के मौजूदगी में कराया गया जिसके उपरांत आरोप सिद्ध पाए जाने पर कानगो/ लेखपाल द्वारा बेदखली वाद दाखिल किया गया था साथ ही किसी नए निर्माण से मनाही किया गया था।जिस आदेश का अनुपालन पूर्व में तैनात रहे तेज तर्रार उप जिलाधिकारी भाटपार रानी रहे के कार्य काल तक निर्माण से रोक का अनुपालन होता रहा है।
वहीं वर्तमान उप जिलाधिकारी भाटपार रानी के द्वारा इस तहसील क्षेत्र का कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत ही भू माफिया से साठ गांठ रखने वाले राजस्व कर्मी आम जनता पर हावी होने लगे हैं नतीजा यह है कि भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के किसी भी गांव में कब देवरिया जिले के रुद्र पुर जैसा बड़ा कांड हो जाए कहना मुस्किल है।
भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के पहले मामले भडसर ग्राम में जहां एक तरफ विगत दिनों सरकारी चक मार्ग पर ही देर रात रात के अंधेरे में तहसील क्षेत्र के राजस्व कर्मीयों द्वारा ग्राम सभा के सरकारी चक मार्ग पर कब्जा करा दिया गया है वहीं परेशान फरियादी जिलाधिकारी देवरिया से मिल कर एवं
आईजीआरएस के जरिए मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी महराज से सरकारी चक मार्ग पर अवैध कब्जा होने से बचाए जाने का लगातार गुहार लगाता रहा जो अब भी जारी हैं।
वहीं भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के ही एक अन्य मामले में अब एक अन्य प्रकरण में कुछ ऐसा ही मनमानी देखने में सामने आया है जहां बहियारी बघेल के यादव टोले पर टूटी झोपड़ी और बिखरे ईंट और सामान दिखाते हुए पीड़ित इन्दल यादव और उनके परिजनों ने बताया कि लेखपाल और प्रधान की मिली भगत से बिना किसी प्रकार का नापी किए बिना ही किसी सीमांकन के बगैर ही गंवई राजनीतिक द्वेष में गरीब की झोपड़ी तोड़ दी गई है। जबकि पीड़ित परिवार का कहना है कि पीड़ित की झोपड़ी भूमिधरी जमीन में अवस्थित रही है।सूरज यादव का कहना था कि लेखपाल और प्रधान कई दिनों से धौंस दिखाकर इसे धमका रहे थे, जबकि हमने कहा था कि मैं उपजिलाधिकारी भाटपार रानी और उच्चाधिकारियों से पैमाइश कराकर सीमांकन की गुहार लगाया हूं,इसके बावजूद लेखपाल द्वारा बिना पैमाइश और बिना सीमांकन के ही भूमिधरी जमीन में रखी झोपड़ी और नल के साथ दीवार ढहा दिया गया।
वहीं जब लेखपाल सचिदानंद उपाध्याय से उनका पक्ष उनके दूरभाष पर जानना चाहा गया तो वे कहते हैं कि खाद गड्ढा की भी इनके बगल में ही जमीन है,मैंने अपनी सरकारी जमीन की नापी कर उस पर से ही अतिक्रमण हटवाया है साथ ही कहा कि बिना किसी आदेश के पैमाइश और सीमांकन किसी दूसरे के जमीन का हम कैसे कर सकते हैं..?
जबकि पीड़ित का कहना है कि उजाड़ी गई झोपड़ी हमारे भूमिधारी जमीन में पड़ी हुई थी, जिसे जबरदस्ती बिना किसी आदेश और नोटिस के तोड़ दिया गया है।
मौके पर वर्तमान में देखा जाए तो देखने से यह लग रहा है कि जिस खाद गड्ढा की बात कह लेखपाल भूमिधरी में स्थित झोपड़ी को तोड़वाए हैं,वह भी सड़क के चौड़ीकरण में जा चुकी है जो की वर्तमान में नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा लगाए गए पत्थर के अन्दर है। वहीं रिहायसी घरों को कूड़ेदान बननाने पर तुले लेखपाल भू माफिया से सांठ गांठ रखने वाले राजस्व कर्मी अपने मनमानी पर उतारू हैं ऐसा आरोप है।
यहां शायद सरकार के नियमों और आदेशों का कोई असर अब नहीं रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री जी का बयान आता है किसी भी गरीबों का घर नहीं उजाड़े जाएंगे वहीं दूसरी तरफ यह कृत्य उचित नहीं है।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि आखिर एक तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार कूड़ेदान या खाद गड्ढे का निर्माण बस्ती से कम से कम दो सौ मीटर दूर ही किया जा सकता है।
जबकि लेखपाल और प्रधान द्वारा नियमों और आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी मनमानी और हनक से लोगों में दहशत पैदा करने व घरों से सटे कूड़ेदान बनवाने हेतु बिना नापी किए ही छप्पर उजाड़ दिए हैं। कुल मिला कर देखें तो इस प्रकरण में भी वही हुआ जो भडसर में हुआ है यहां भी पीड़ित उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाते रह गए हैं। जबकि कर्मचारी अपनी मनमानी कर गए हैं।
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