
RKPnewsगोंदिया – वैश्विक स्तरपर मोहनदास करमचंद गांधी का नाम दुनियाभर में इतना प्रसिद्ध है कि इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सत्य अहिंसा शांति धर्मनिरपेक्ष वाद राजनीतिक नैतिकतावाद उपनिवेशवाद विरोधी और अनेक प्रभावशाली तरीकों से अंग्रेजों के शासन से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था। बापूजी की गाथाएं आज करीब क़रीब हर व्यक्ति जानता है परंतु मेरा सुझाव है कि आज युवा देश भारत के युवाओं को बापू के अमर स्थानों पर जरूर जाने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए वह साबरमती आश्रम अहमदाबाद, सेवाग्राम वर्धा, आगा खान पैलेस पुणे,गांधी स्मृति दिल्ली, राजघाट, इंडियागेट कनाट पैलेस,लालकिला यह कुछ ऐसे स्थान हैं जहां पर हमें आज भी बापू की उपस्थिति महसूस होती है दिल में कहीं ना कहीं बाबू के विश्वासों आदर्शों शिक्षाओं अहिंसात्मक दृष्टिकोण का ऐसा भाव महसूस होता है। चूंकि हम 2 अक्टूबर 2022 महात्मा गांधी जयंती उत्सव मना रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आओ सत्य अहिंसा शांति और धर्मनिरपेक्षता में दृढ़ विश्वास बढ़ाएं। साथियों बात अगर हम गांधी जयंती मनाने की करें तो,यह बात सही है कि हम सभी गांधीजी का काफी सम्मान करते हैं। लेकिन उनके सपने तो तभी पूरे होंगे जब हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे। इसलिए इस दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए, बापू के विचारों और कार्यों के कारण ही उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी लेकिन लंदन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने के बाद भी उन्होंने खादी पहनकर देश का भ्रमण किया और आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया। आज हमें बापू जैसे नेताओं की आवश्यकता है। हम उनके बताए रास्ते पर चलकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। बापू ने भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी बुराइयों के प्रति लगातार आवाज उठाई। वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगोंको बराबरी का दर्जा हासिलहोक्योंकि सभी को एक ही ईश्वर अल्लाह ने बनाया है। उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। नारी सशक्तीकरण के लिए भी वह हमेशा प्रयासरत रहे। साथियों गांधी जयंती राजनीतिक नैतिकतावादी, उपनिवेशवाद विरोधी, आध्यात्मिक नेता और भारतीय वकील महात्मा गांधी को सम्मानित करने के लिए मनाई जाती है। बापू के बारे में बात करते समय शब्द कम पड़ जाते हैं, छोटे कद के, मृदुभाषी और बेहद सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति जिन्होंने सभी भारतीयों को एक साथ लाया और उन्हें सभी बाधाओं के खिलाफ एकजुट रहने के महत्व को समझाया। उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए, भारत उपनिवेशवाद की बेड़ियों से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने में सक्षम था। गांधी ने शांति और अहिंसा की वकालत करते हुए सभी राष्ट्रीय नेताओं को एक साथ लाते हुए स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। वह धार्मिक बहुलवाद और सत्य और अहिंसा के अग्रदूत में दृढ़ विश्वास रखते थे। उन्होंने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के लिए अथक परिश्रम किया। इस प्रकार, गांधी जयंती उस प्रतिष्ठित नेता को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने अहिंसक दृष्टिकोण का पालन करते हुए लोगों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने देश में अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था की भी निंदा की। साथियों बात अगर हम बापू के विचारों पर चलने की करें तो, उनके सिद्धांतों और शिक्षाओं के आधार पर, भारत ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार और भारत में खुले में शौच को समाप्त करने के लिए 2 अक्टूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ याने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। हालांकि बापू के आदर्शो शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए हर सरकारों ने इस दिशा में काफी कदम बढ़ाए हैं। गांधी जयंती भारत के लोगों के लिए बहुत महत्व रखती है। इसके अलावा, यह सिर्फ एक उत्सव नहीं है बल्कि महात्मा गांधी के विश्वासों, शिक्षाओं और आदर्शों को याद करने और उनका पालन करने का दिन है। साथियों बात अगर हम बाबू को राष्ट्रपिता कहे जाने की करें तो, इसके पीछे भी एक कहानी है। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी कहा था। इसके बाद कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी। इसी के साथ हम सभी को गांधी जी के सिद्धांतो को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। साथियों बात अगर हम बापू के दिलचस्प व्यक्तित्व की करें तो, गांधी और मशहूर लेखक लियो टॉल्स्टॉय बहुत अच्छे दोस्त थे, वे आपस में पत्रों के माध्यम से बातचीत करते थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से 21 मील दूर एक टॉल्स्टॉय फार्म भी स्थापित किया। 1100 एकड़ के क्षेत्र में फैले इस फार्म को उन सहयोगियों के लिए स्थापित किया गया था जिन्होंने सत्याग्रह संघर्ष के दौरान उनकी मदद की थी। उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग और ‘अछूतों’ के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया, जिन्हें उन्होंने हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया। उन्होंने उनके लिए उपवास किया और उनके लिए उचित इलाज की मांग की। 1982 में महात्मा गांधी के जीवन पर एक फिल्म बनी थी जिसमें उनका किरदार रिचर्ड एटनबरो ने निभाया था। इस फिल्म ने बहुत सारे पुरस्कार, प्रशंसा और प्रशंसा प्राप्त की। इसमें सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर श्रेणी के लिए सबसे प्रतिष्ठित अकादमी पुरस्कार जीतना भी शामिल है। साथियों महात्मा गांधी को टाइम मैगजीन मैन ऑफ द ईयर में शामिल किया गया जो एक बहुत बड़ा सम्मान है। यह सम्मान दुनिया के कुछ चुनिंदा गणमान्य व्यक्तियों को दिया जाता है। महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार नामांकित किया गया था।आखिरी नामांकन 1948 में उनकी हत्या से कुछ दिन पहले हुआ था।महात्मा गांधी एक विपुल लेखक थे। उनके एकत्रित कार्यों में 50, हज़ार पृष्ठ हैं। और महात्मा का सम्मान उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता बंगाली कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा प्रदान किया गया था। उनकी मृत्यु के 21 साल बाद, ग्रेट ब्रिटेन, जिनके खिलाफ महात्मा गांधी ने अपने राष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए लड़ाई लड़ी, ने उन्हें सम्मानित करने के लिए एक डाक टिकट जारी किया। महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार में आठ किलोमीटर लंबा अंतिम संस्कार जुलूस देखा गया। अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2022 को धूमधाम से मनाई गई। आओ सत्य अहिंसा शांति और धर्मनिरपेक्षता में दृढ़ विश्वास बढ़ाएं 2 अक्टूबर महात्मा गांधी के विश्वासों आदर्शों शिक्षाओं अहिंसात्मक दृष्टिकोण को उत्सव के रूप में याद कर उनका पालन करने का दिन है। राजनीतिक नैतिकतावादी उपनिवेशवाद विरोधी दूरदर्शी नेतृत्ववादी मृदुभाषी अग्रदूत भारतीय वकील मोहनदास करमचंद गांधी को सैल्यूट।

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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