विराट भंडारा का हुआ आयोजन
आज़मगढ़ ( राष्ट्र की परम्परा )
जिला के विकास खण्ड मुहम्मदपुर के ग्राम सभा बैराड़ीह उर्फ गंभीरपुर में 12 दिसंबर से श्रीराम कथा व रूद्र चंडी महायज्ञ कलश शोभायात्रा से शुरू हुआ। महायज्ञ में आठवें दिन श्रद्धालु यज्ञ मंडप की परिक्रमा करते हुए अपनी अपनी मनोकामना पूरी करने की मन्नत माँगे। वहीं मंगलवार की शाम प्रयागराज से चलकर आए कथावाचक जगदीश आचार्य महाराज द्वारा ने कहा की कैसे श्रीराम के दर्शन मात्र से अहल्या का कल्याण हुआ और वो अपने धाम को चली गई। ऐसा देखकर देवताओं ने श्री विष्णु के अवतार श्री राम पर पुष्प वर्षा की और प्रभु राम, ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला की ओर चले। लक्ष्मण सहित श्रीराम विश्वामित्रजी को आगे करके महर्षि गौतम के आश्रम से ईशान कोण की ओर चले और मिथिला नरेश के यज्ञमण्डप में जा पहुँचे, श्रीराम ने मुनिश्रेष्ठ विश्वामित्र से कहा कि प्रभु महात्मा जनक के यज्ञ का समारोह तो बड़ा सुन्दर दिखायी दे रहा है यहाँ नाना देशों के निवासी सहस्रों ब्राह्मण जुटे हुए हैं, जो वेदों के स्वाध्याय से शोभा पा रहे हैं। ऋषियों के बाड़े सैकड़ों छकड़ों से भरे दिखायी दे रहे हैं। ब्रह्मा अब ऐसा कोई स्थान निश्चित कीजिये, जहाँ हम लोग भी ठहरें। श्री रामचन्द्रजी का यह वचन सुनकर महामुनि विश्वामित्र ने एकान्त स्थान में डेरा डाला, जहाँ पानी का व्यवस्था था। नृपश्रेष्ठ महाराज जनक ने जब सुना कि विश्वामित्रजी पधारे हैं, तब वे तुरंत अपने पुरोहित शतानन्द को आगे करके उनके स्वागत के लिए चले।
राजा ने विनीत भाव से सहसा आगे बढ़कर महर्षिकी अगवानी की तथा धर्मशास्त्र के अनुसार विश्वामित्र को धर्मयुक्त अर्घ्य समर्पित किया। महात्मा राजा जनक की वह पूजा ग्रहण करके मुनि ने उनका कुशल-समाचार पूछा तथा उनके यज्ञ की निर्बाध स्थिति के विषय में जिज्ञासा की। राजा के साथ जो मुनि, उपाध्याय और पुरोहित आये थे, उनसे भी कुशल-मंगल पूछकर विश्वामित्र जी बड़े हर्ष के साथ उन सभी महर्षियों से यथा योग्य मिले। इसके बाद जनक के आग्रह करके महामुनि विश्वामित्र आसन पर बैठ गये। फिर पुरोहित, ऋत्विज् तथा मन्त्रियों सहित राजा भी सब ओर यथायोग्य आसनों पर विराजमान हो गये।इसके बाद राजा जनक ने ऋषि विश्वामित्र से श्रीराम और लक्ष्मण के बारे में पूछा उन्होंने कहा, देवता के समान पराक्रमी और सुन्दर आयुध धारण करने वाले ये दोनों वीर राजकुमार जो हाथी के समान मन्दगति से चलते हैं, प्रफुल्ल कमल दल के समान सुशोभित हैं, तलवार, तरकस और धनुष धारण किये हुए हैं, अपने मनोहर रूप से अश्विनीकुमारों को भी लज्जित कर रहे हैं।
जो स्वेच्छानुसार देवलोक से उतरकर पृथ्वी पर आये हुए दो देवताओं के समान जान पड़ते हैं, किसके पुत्र हैं और यहाँ कैसे, किसलिये अथवा किस उद्देश्य से पैदल ही पधारे हैं? जैसे चन्द्रमा और सूर्य आकाश की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार ये अपनी उपस्थिति से इस देश को विभूषित कर रहे हैं। ये दोनों एक-दूसरे से बहुत मिलते-जुलते हैं। महात्मा जनक का यह प्रश्न सुनकर अमित आत्मबल से सम्पन्न विश्वामित्रजी ने कहा कि ये अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र श्री राम और लक्ष्मण है।इसके बाद उन्होंने उन दोनों के सिद्धाश्रम में निवास, राक्षसों के वध, बिना किसी घबराहट के मिथिला तक आगमन, विशालापुरी के दर्शन, अहल्या के साक्षात्कार तथा महर्षि गौतम के साथ समागम आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। वही बुधवार को श्री रूद्र चंडी महायज्ञ का विराट भंडारा है, जिसकी तैयारी क्षेत्रीय ग्रामीण द्वारा जोर-शोर से की जा रही है विराट भंडारे मे क्षेत्र के हजारों लोग महाप्रसाद ग्रहण करेंगे।
More Stories
सलेमपुर मे अब लगने शुरू होंगे स्मार्ट मीटर- एसडीओ आलोक कुमार
विक्रांतवीर संभालेंगे देवरिया की कमान
बाबा साहब का कथित अपमान जिसे लेकर आज हुआ कांग्रेस का प्रदर्शन- केशवचन्द यादव