
चाँद सितारों की बात हो न हो,
फूल बहारों की बात हो न हो,
रोशनी उम्मीद की जलती रहे,
रात में सपने व नींद आती रहे।
सादर धन्यवाद है आभार सहित,
इतनी प्रशंसा का पात्र तो मैं नहीं,
हकीम लुकमान या ऋषि चरक के
समतुल्य क्या उनका पासंग भी नहीं।
मेरी रचनायें, मेरी कवितायें आपको
औषधि समान ही अच्छी लगती हैं,
आपका कृतज्ञ हूँ, नत मस्तक भी हूँ,
आपकी बातें प्रोत्साहन भी देती हैं।
शायद आप की तरह यहाँ दूसरों को
नहीं गँवारा लगता है इन्हें देखना भी,
इसलिये बन्द कर दिया मैने रचनायें
उन सम्मानित भाइयों को भेजना भी।
व्यवहार हमेशा ज्ञान से बड़ा होता है,
जीवन में परिस्थितियाँ ऐसी आती हैं,
आदित्य जब ज्ञान विफल हो जाता है,
पर व्यवहार सब कुछ संभाल लेता है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
More Stories
विवाहिता ने की दहेज उत्पीड़न व भ्रूण हत्या की शिकायत
पुरानी रंजिश में दो पक्षों में मारपीट, कई घायल
ना जोगीरा, ना चौताल गुम हो रही परम्पराएं, आवश्यकता है इनके संरक्षण की