सोहगी बरवा सड़क,स्वास्थ्य,शिक्षा सहित विकास से कोशो दूर
जन प्रतिनिधि व प्रशासन के दावे हुए फेल मुख्य मार्ग के बिना आदिवासी की जिन्दगी जीते है लोग
डॉ सतीश पाण्डेय व नीरज मिश्र की रिपोर्ट
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा) । निचलौल ब्लॉक क्षेत्र के नारायणी नदी और घने जंगलों से घिरे सोहगी बरवा, भोतहा व शिकारपुर गांव को छः किमी दूर मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए 57 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। फिर भी उस सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हैं। सड़क की मरम्मत न होता देख ग्रामीणों ने उसे बनवाने का बीड़ा उठाया था इसके लिए लोग बैरियर लगाकर चंदा वसूल रहे थे।
जानकारी के अनुसार, सोहगी बरवा से बिहार के नौरंगिया मुख्य मार्ग की दूरी करीब छः किमी है। वर्ष 2022 में लोक निर्माण विभाग की ओर से करीब 10 लाख रुपये से अधिक खर्च कर सोहगी बरवा बाजार से मटियरवा तक करीब डेढ़ किमी पक्की सड़क की मरम्मत कराई गई थी। मटियरवा से यूपी बॉर्डर तक करीब चार किमी तक सोहगी बरवा, शिकापुर और भोतहा ग्राम पंचायत की ओर से करीब 47 लाख रुपये की रकम से अधिक खर्च कर खड़ंजा बनवाया गया था। उसके बाद करीब 500 मीटर सड़क कच्ची है, जो बिहार राज्य के दायरे में है।
उस समय गांव के लोगों का आरोप था कि लोक निर्माण विभाग व ग्राम पंचायत ने सड़क निर्माण के दौरान जमकर धांधली की है। यही वजह है कि 40 लाख रुपये खर्च कर बनी पक्की और खड़ंजा सड़क एक वर्ष के भीतर बड़े-बड़े गड्ढे में तब्दील हो गई। इसके चलते निचलौल ब्लॉक के तीन गांव सोहगी बरवा, भोतहा और शिकारपुर के अलावा इनके टोले खुठहवा, शिवपुर, नरायनपुर, हरिहरपुर, मरचहवा, बालगोविंद छपरा, साहपुर, भिंडयाचल पुर, मटियरवा व कुशीनगर के कई गांवों में बसने वाले करीब 55 हजार की आबादी को मुख्य सड़क तक पहुंचने में परेशानी होती है।सड़क निर्माण पीडब्ल्यूडी और ग्राम पंचायत स्तर से होनी है। स्वास्थ्य की बात करें तो यहां डाक्टर के अभाव मे जीवन और मौत से गुजरते हैं ग्रामीण
सोहगी बरवा,भोथहा , शिकारपुर जिसकी जनसंख्या लगभग 2500 के करीब है जिसमें मुसहर समुदाय के लोग सर्वाधिक है यह ग्राम सभा जिले में अति पिछड़ा ग्राम सभा माना जाता है वही कुशीनगर जनपद के खड्डा ब्लाक के चार गांव शिवपुर, बसंतपुर, नरायनपुर व हरिहरपुर एक टापू के रूप में है। इन ग्राम सभा के स्वास्थ्य के लिए जिला प्रशासन ने सोहगी बरवा ग्राम सभा मे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन ने वर्ष 2014-2015 मे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनने का निर्देश दिया था । ठेकेदारो द्वारा कार्य शुरु भी हो गया था लेकिन आधा अधूरा कार्य होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था को ब्लैक लिस्ट में डालकर रिकवरी का निर्देश दिया था जो आज तक उसी तरह आधा अधूरा है ।वही ग्राम सभा में आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण वर्ष 2010-2012 में हुआ था जो उपेक्षा का शिकार है यहा डाक्टर की जगह चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी दवा का वितरण करता है।लोगों के स्वास्थ्य के साथ साथ पशुओं की बात करे तो वर्ष2015-2016 मे बनकर तैयार पशु चिकित्सालय मे आज तक कोई डाक्टर नही बैठता है जबकि नदी और जंगल से घिरे होने के कारण पशुओं को भी तमाम प्रकार की बीमारियां अपने चपेट में ले लेती हैं। दर्जनों पशुओं की मौत दवा के अभाव में हो जाता हैं लेकिन जिम्मेदार मौन धारण करके सिर्फ कागज पूर्ति मे लगे रहते है । शिक्षा की बात करें तो यहा पर प्राथमिक विद्यालय के साथ पूर्व माध्यमिक विद्यालय स्थापित है। आगे कि पढाई करने के लिए बच्चों को 35 किलोमीटर दूर पड़ोसी जनपद कुशीनगर के खड्डा तहसील में जाना पड़ता है नहीं तो अपने गृह जनपद जाने के लिए 65 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है लेकिन शिक्षा व्यवस्था के लिए आज तक न तो जिला प्रशासन आगे आया न ही कोई जनप्रतिनिधि आगे आया ।
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