
उतरौला(बलरामपुर) राजा उतरौला के कोठी में नववी की रात होने वाले आग के मातम को देखने के लिए दूर दराज से मोहर्रम के अकीदतमंद आते हैं। नववी की रात में राजा उतरौला के कोठी में आग का मातम सैकड़ों वर्षों से होता चला आ रहा है। इसमें इमाम हुसैन के अकीदतमंद लोग दहकते अंगारों पर या हुसैन -या हुसैन कहते हुए उसपर चलते हैं। उसके बाद भी उनके पैर नहीं जलते हैं।उतरौला के मुख्य बाजार के बीचों बीच राजा उतरौला की कोठी बनी हुई है। इसके परिसर में राजा उतरौला की मजार भी है। मोहर्रम पर इसके परिसर की साफ सफाई करके राजा उतरौला की कब्र पर फूल चढ़ाएं जाते हैं और ताज़िए को चबूतरे पर रखा जाता है। राजा के महल के परिसर में नववी की रात आगारे के मातम का आयोजन किया जाता है। आठ फुट लम्बे गड्ढे में आग जलाकर उसे दहकाया जाता है। आग के अंगारे को दहकने के बाद इमाम हुसैन के अकीदतमंद इस अंगारे पर या हुसैन की आवाज बुलंद कर चलते हैं। दहकते अंगारों पर चलने के बाद भी उनके अदीकतमदो के पैर नहीं जलते हैं और न ही छाले पड़ते हैं। इस आग के मातम को देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। इसके भीड़ की सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स तैनात
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