
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) देवरिया जिले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाo शरद अग्रवाल अपने टीम मेंबर्स के साथ जिले के डॉक्टरों से मिलने आए और उन्होंने प्रेसवार्ता में स्वास्थ्य से जुड़े सवालों,डॉक्टरों की सुरक्षा एमबीबीएस छात्रों की समस्याओं से जुड़े हर सवालों का जवाब दिया । उन्होंने बताया कि पहले विदेशों से एमबीबीएस की पढ़ाई करके भारत में प्रेक्टिस करने के लिए छात्रों को परीक्षा देना पड़ता था,लेकिन भारत में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को छूट थी,लेकिन अब भारत में भी पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी नेक्स्ट परीक्षा देना होगा तभी उनको प्रेक्टिस करने का अधिकार होगा,और तो और प्राइवेट एमबीबीएस की फीस भी सरकार ने 3 गुनी कर दी है,जिससे प्राइवेट में एमबीबीएस की फीस 1 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है,जबकि कोई भी विदेशों से 20 लाख में एमबीबीएस कर सकता है,अब सोचना ये है की जो भारत में 1 करोड़ में एमबीबीएस करेगा वो डॉक्टर इलाज कम लूटेगा ज्यादा
एलोपैथी और आयुष चिकित्सा पद्धति में कौन श्रेष्ठ है, इसे लेकर गाहे-बगाहे चर्चा होती रहती है लेकिन इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि देश के चिकित्सकों कि प्रमुख संस्था आई एम ए आयुष चिकित्सा पद्धति के विरोध में नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को आयुष और होमियो पैथि की स्थिति को सुधारने के लिए इन पैथि के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए l
डा. शरद अग्रवाल ने रविवार को लॉरेल इन होटल मे पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा आईएमए क्रॉसपैथी के विरोध में है। एक पद्धति में काम कर रहे लोगों को दूसरी चिकित्सा पद्धति की दवा के बारे में सलाह नहीं देनी चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई मामले के आधार पर यह साबित होता है कि यह सर्वोच्च न्यायलय के आदेश की अवहेलना है।
चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे प्रमुख संस्था आईएमए लगातार इस बात का विरोध करती रही है कि आयुष चिकित्सकों के एक वर्ग द्वारा कुछ सर्जरी की जाती है । साथ ही आधुनिक चिकित्सा की कुछ दवाइयां लेने की भी सलाह दी जाती है। वह कहते हैं कि सरकार का आयुष के प्रति रवैया स्वागतयोग्य है लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू करने के लिए इसमें सुधार किए जाने की आवश्यकता है। डा. अग्रवाल ने द हेल्दी इंडियन प्रोजेक्ट के सवाल पर कहा कि आईएमए किसी पैथि के विरोध में नही है l हमारा आयुष के स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार को सुझाव है l आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए आईएमए की पहल आओ गांव चले चल रही है। इस अभियान के तहत आईएमए की हर शाखा को एक गांव को गोद लेने के निर्देश दिए गए हैं। इससे गांवों की स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बनाने में मदद मिलेगी। वह कहते हैं कि केतन देसाई द्वारा 2004 में शुरू किए गए प्रोजेक्ट को फिर से रिलांच किया जा रहा है। कोरोना आपदा के दौरान इस प्रोजेक्ट की गति धीमी हो गई थी।
डॉक्टरों पर लगातार हो रहे हिंसा के मामलों को लेकर डा. अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार को चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए एक कानून लाना चाहिए। वह कहते हैं कि अध्ययन कहते हैं कि 75 फीसद डॉक्टर किसी न किसी तरह की हिंसा का सामना करते हैं। इसमें अधिकतर मामले तीमारदार के परिवार के होते हैं। विचारणीय बात है कि कोई भी डॉक्टर डर और तनाव के माहौल में कैसे काम कर सकता है? अगर डॉक्टरों पर लगातार इस तरीके से ही हमले होते रहे तो गंभीर रुप से पीड़ित मरीज को लेने से वह कतराने लगेंगे।
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