बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) । आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा संचालित नानपारा कृषि विज्ञान केन्द्र पर गृह विज्ञान अनुभाग के अंतर्गत अप्रयुक्त एवं सस्ते घरेलू सामग्री से स्कूली बच्चों हेतु शिक्षण सामग्री विषय पर दो दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. के एम. सिंह ने की जिसमें उन्होंने बताया की अध्यापन अधिगम की जो प्रक्रिया है, उसे सरल एवं प्रभावकारी या रूचिकर बनाने के लिए शिक्षक विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग करते हैं। जिससे शिक्षक को कठिन से कठिन विषय को पढ़ाने में आसानी होती है। छात्र-छात्राओं को आसानी से समझ भी आ जाता है क्योंकि बच्चे देखकर और करके बहुत जल्दी सीख पाते है। उन्होंने यह भी बताया की सहायक सामग्री से बालक की ज्ञानेन्द्रियों को क्रियाशील बनाये रखने में सहायता मिलती है। क्रियाशील ज्ञानेन्द्रियाँ बालक की सीखने की क्षमता में वृद्धि करती हैं। सहायक सामग्रियों के प्रयोग से विद्यार्थी निष्क्रिय होने से बच जाता है। इससे बालक सीखने के लिए प्रेरित होता है,सीखने के लिए उत्सुकता बढ़ती है। बालक पाठ को ध्यानपूर्वक सुनते हैं और आनन्द लेते है। केंद्र की वैज्ञानिक रेनू आर्य ने प्रशिक्षण मे कहा कि सर्वांगीण विकास का अभिप्राय है-व्यक्ति का बौद्धिक,शारीरिक,सामाजिक,मानसिक, क्रियात्मक और चारित्रिक विकास। इनके विकास के लिए ही छात्रों को शिक्षा दी जाती है। प्रत्येक देश की शिक्षा पद्धति अपने-अपने देश की संस्कृति, सभ्यता तथा आदर्शों के अनुरूप विविध प्रकार के ज्ञान-विज्ञान, शिल्प तथा कला से युक्त होती है। उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू, सस्ते एवं अप्रतुक्त संसाधनों द्वारा विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री बनाई जा सकती है जिससे बच्चों में पढ़ने तथा उनके क्रियात्मक विकास मे सहायक है। पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ हर्षिता ने प्रशिक्षणार्थियों को सहायक सामग्री के उपयोग से बालकों को जो सिखाया जाता है, वे तुरन्त अपने मस्तिष्क में धारण कर लेते हैं और आवश्यकतानुसार प्रत्यास्मरण भी कर लेते हैं।। वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार ने सहायक सामग्री के प्रयोग से बालकों की रटने की क्रिया को कम किया जा सकता है। जिससे बच्चों में क्रीयात्मक विकास में वृद्धि होती है। डॉ. एस.बी सिंह ने विभिन्न प्रकार की सहायक सामग्री (रेडियो, टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि) के प्रयोग से बालकों को नए-नए शब्दों का अनुभव होता है, उनके शब्द भंडार में वृद्धि होती है। कार्यक्रम में सीमा सोनकर ,पूनम देवी, प्रेम कुमारी समेत कुल 25 सेवाकालीन प्रशिक्षणर्थियों ने प्रतिभाग किया।
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