December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

साल दर साल मोटे मुनाफे के चक्कर मे सट्टेबाजों की संख्या में इजाफा

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)हमारी आज की युवा पीढ़ी तुरंत अमीर बनना चाहती है और वह भी बिना कुछ किए धरे। ऐसे में युवा कहीं न कहीं स्वयं को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की दुनिया में धकेलना शुरू कर देता है और यह अपराध की दुनिया उस व्यक्ति विशेष को कहीं का भी नहीं छोड़ती, उसे बर्बाद कर देती है।

बिना मेहनत के धन कमाने के लिए वह या तो चोरी करता है अथवा डकैती, लूटपाट या अवैध काम। यहां तक कि बहुत बार तो तकनीक का गलत इस्तेमाल कर वह धन कमाना चाहता है, शहर के विभिन्न हिस्सों में आईपीएल पर सट्टेबाजी का धंधा लगातार जोर पकड़ रहा है। विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी इसमें ज्यादा लिप्त नजर आती है। आज जिधर नजर दौड़ाएं उधर ऑनलाइन सट्टेबाजी फैलती दिख रही है,

ऐसा भी नहीं है कि पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती, पूर्व के वर्षो में सट्टेबाज पकड़े भी गए है और लाखों रुपये बरामद भी हुए है, लेकिन पुलिस में भी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार, बेईमानी के चलते सट्टेबाज पकड़े नही जा रहे है

सच तो यह है कि आज युवाओं की जरूरतें बढ़ गई हैं और वे उनको पूरा करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाने लगे हैं, जो उन्हें लगातार गर्त में धकेल रहे हैं। हमारे युवा आईपीएल की सट्टेबाजी के चक्कर में फंसकर अपना सर्वस्व लुटा रहे हैं। ऐसे सटोरियों की संख्या लगातार बढ़ रही है

हालांकि पुलिस द्वारा इन पर नकेल कसने की बात कही जा रही है लेकिन अब भी धरातल पर कुछ विशेष नहीं हो पाया है। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि युवाओं की अनावश्यक जरूरतें, बेवजह के अनगिनत शौक और जल्द अमीर बनने की हसरत का फायदा उठाकर सटोरिए इन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं।

आज विभिन्न शहरों में, बाजारों में, अस्पतालों के बाहर, मॉल, पार्कों, बस स्टैण्ड, कैब, ऑटो, चाय की अडिय़ों, दुकानों, होटल व रेस्तरांओं में पुलिस यदि पैनी नजर रखे तो उसे कॉपी-पैन या फिर दो-तीन मोबाइल फोन या लैपटॉप आदि लेकर बातचीत करते वहां खड़े युवा नजर आ जाएंगे। उनकी हरकतों को देखकर पुलिस को सट्टेबाजी का अंदाजा हो जाता है। हैरत की बात यह है कि बड़े शहरों के व्यस्त बाजारों में तो ठेला लगाने वाले, छोटा-मोटा काम करने वाले लोग तक सट्टे लगाने में सक्रिय हैं।