December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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सावित्री बाई फुले की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में मनाई गई

भलुअनी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
शांति सद्भावना मंच के बैनर तले सावित्री बाई फुले की जयंती, शिक्षक दिवस के रूप में सोनिया देवी लघु माध्यमिक विद्यालय टेकुआ में हर्षोल्लास के साथ उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर मनाया गया।शांति सद्भावना मंच के राज्य समन्वयक रामकिशोर चौहान ने कहा कि, सावित्री बाई फुले 1 जनवरी सन 1848 को पूना में , लड़कियों के लिए पहला विद्यालय ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर खोला। यह दिन भारतीय नारी जगत के लिए स्वर्णिम दिवस सिद्ध हुआ।और उसके बाद 14जनवरी 1848 को बुधवार पेट निवासी, तात्यासाहब भिड़े नामक ब्राह्मण के मकान में कन्या पाठशाला खोली, जिसमे छः लड़कियां आई, चार ब्राम्हण समाज की ,एक ग्रेरियाँ,एक मराठा जाति की छात्रा के साथ मिलकर शिक्षा की अलख जगाने का कार्य किया। चौहान ने आगे बताया कि सावित्री बाई फुले अपने समय की न केवल प्रमुख शिक्षिका और महान समाजसेविका थी , बल्कि वे एक सफल कवियत्री भी थीं।उनकी कविताओं में समाज के शोषित,और दबे कुचले लोगो के प्रति अपार सहानू भूति दिखाई देती हैं।इसी क्रम में रामवीर सिंह यादव ने कहा किज्योतिबा बाई फुले इतनी महान इस लिए बन पाई, क्योंकि उनकी विचार धारा सामाजिक विकास की दिशा में क्रांतिकारी थी। विश्वनाथ चौहान ने कहा कि जो महापुरुष समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए संघर्स करता है, वही व्यक्ति महान होता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से भीम कुमार भारती, दयालु चौहान , श्रीकांत , शिवानंद चौहान, जगजीवन, राजेश, चंद्रमोहन, रामवीर, नन्दलाल ,राजू , विश्वनाथ सहित आदि लोग उपस्थित रहे।