गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा) शनिवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक समारोह के समापन, कार्यक्रम में लोगो को सम्बोधित करते प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, भारतीय मनीषियों ने ज्ञान परम्परा को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रखा था बल्कि व्यवहारिकता को पर्याप्त महत्व दिया गया, क्योंकि जीवन की व्यवहारिकता ही वास्तविक ज्ञान है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना, 1932 में महन्त दिग्विजयनाथ ने की थी, यह वह समय था जब गोरखपुर में आने के लिए साधन भी नही रहे होगे। उस समय शिक्षा का अलख जगाने के लिये महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के रूप मे बीज रोपित किया गया, और आज हमारा सौभाग्य है कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर भारतवासी को अपने मुख्य महोत्सव के साथ जोड़कर आजादी के अमृत महोत्सव को एक नई उचाई दी, हर घर तिरंगा इसका एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने लोगो को राष्ट्रीयता के साथ जोड़ने के लिए एक मंच दिया।
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जी-20 के देशो का नेतृत्व करने का अवसर भारत को प्राप्त हो रहा है। जी-20 में दुनिया के 20 बड़े देश है जिनमें दुनिया की कुल आबादी की 60 फीसदी आबादी निवास करती है, जिनका दुनिया का 75 प्रतिशत तेल पर अधिकार है, 85 प्रतिशत जीडीपी पर 20 देशों का अधिकार है। जी-20 की थीम वन फेमली, वन अर्थ, वन फ्यूचर है, दुनिया को एक परिवार के रूप में मानना। इस भाव को भारत ने सदैव महत्व दिया, इस भाव को जी-20 के सम्मेलन के माध्यम से आगे बढ़ा सकते है। भारत दुनिया की 5वी बड़ी अर्थव्यवस्था भी बना है, यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के अन्दर सबसे तेज गति से उभरने वाली अर्थव्यवस्था है, कोरोना काल खण्ड में जिस मजबूती के साथ भारत की अर्थ व्यवस्था बनी रही, यह कोई उपलब्धि से कम नही है। कोरोना महामारी के आने की 9वें महीने में भारत के प्रधानमंत्री ने एक नही दो-दो स्वदेशी वैक्सीन दे दिया था। इंसेफ्लाइटिस से पूर्वी उ0प्र0 में हजारो मौते होती थी। जापान में इसेफ्लाइटिस का वैक्सीन 1905 में बन गया था और भारत में उस वैक्सीन को बनाने में 100 वर्ष से अधिक समय लगा। कोरोना जैसी महामारी में हर नागरिक के जीवन को बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने 9वी महीने में टीकाकरण का कार्य शुरू करा दिया और 135 करोड़ लोगो को निशुल्क वैक्सीन का डोज देने का कार्य किया। भारत में 3 करोड़ से ज्यादा लोगो को आवास मिला, भारत में 80 करोड़ लोगो को फ्री में राशन की सुविधा उपलब्ध करवाई गयी यह भी एक बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के सामने जिस मजबूती, दृढ़ इच्छा शक्ति, यशस्वी नेतृत्व, चुनौतियो के बीच से रास्ता निकालने, हर विपरीत परिस्थिति में कार्य करने का एक जज्बा और देश के हर नागरिक को बिना भेदभाव के योजनाओ का लाभ देने का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि यह नया उभरता हुआ भारत है, इसमें स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा हर व्यक्ति के लिए, हर प्रदेश के लिए है, उसमें हमें अपने आप को देखना होगा कि हम कहा है, हर एक के लिए अवसर है, उस अवसर के साथ अपने आप को जोड़ने के लिए तरीके को हमें सीखना होगा। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान को इंडस्ट्री के साथ जुड़ना होगा, अपने बच्चों को क्लासरूम तक सीमित न करके व्यवहारिक जानकारी भी देनी होगी।
उन्होंने लोगो को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुये कहा कि कोरोना से ढाई वर्ष में जितनी मौते यू0पी0 के अन्दर हुई है, उतनी मौते सड़क एक्सीडेन्ट में एक वर्ष में हो जाती है, सड़क एक्सीडेन्ट से होने वाली मौत का कारण ओवर स्पीडिंग, हेलमेट न पहनना, गलत ढंग से रोड पर चलना, सीट बेल्ट न लगाना है। उन्होंने सड़क सुरक्षा नियमो के बारे में स्कूल में जानकारी देने पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का आह्वान किया था। आज गोरखपुर में चार विश्वविद्यालय हैं, एम्स, मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज कई तकनीकी शिक्षण संस्थान भी हैं। सभी की जिम्मेदारी है कि, वे पूर्वी उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार एंव रिसर्च एवं डेवलपमेंट को आगे बढ़ाते हुए गोरखपुर को नॉलेज सिटी के रूप में मजबूत करें। भारत अतीत में पूरे विश्व का नेतृत्व कर चुका है और नॉलेज सिटी के परिप्रेक्ष्य में हमें इसी भावना के अनुरूप कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री ने सभी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि, कई बार पराजय भी जीवन में सफलता का नया मार्ग दिखाता है।
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों के साथ खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करते हुये कहा कि, गोरखपुर व पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेल के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यहां के पहलवान दुनिया में धूम मचाते थे। गोरखपुर की कबड्डी टीम बहुत अच्छी मानी जाती थी। यहां की प्रतिभाएं तैराकी, नौकायन, निशानेबाजी में काफी आगे बढ़ सकती हैं। संस्थाओं को इसके लिए प्रयास करना होगा, शासन इसमें सहयोग करेगा।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि,आज दुनिया के लिए उत्तर प्रदेश सबसे शानदार आर्थिक गंतव्य है। बड़े से बड़े देश भी आर्थिक गंतव्य चुनने के लिए उत्तर प्रदेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह सब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के विचार एवं दूरदृष्टि का परिणाम है। उत्तर प्रदेश में हर नौजवान को रोजगार मिलेगा, किसान समृद्ध होगा। यह प्रदेश देश ही नहीं दुनिया का सिरमौर बनेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश न केवल वैभवपूर्ण संस्कृति, अध्यात्म व कठोर परिश्रम के लिए ख्यातिलब्ध है, बल्कि आज विकास की दृष्टि से दुनिया का सबसे तेजी से आगे बढ़ता हुआ राज्य है। नए विचार रखने वाले मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में उद्योग, सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी आदि सभी क्षेत्रों में लंबा दृष्टिकोण बनाकर काम किया है। उत्तर प्रदेश कई देशों को मिलाकर भी बड़ा है। आज यहां शांति है, मजबूत कानून व्यवस्था है, न्याय, समानता व समतामूलक समाज है। जहां शांति रहती है, वही प्रगति व खुशहाली भी आती है। यही कारण है कि कानून का राज और शांति होने के चलते दुनिया के लोग आर्थिक गंतव्य के लिए उत्तर प्रदेश को चुनते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की बदलती पहचान में युवाओं की बड़ी भूमिका है। भारत के युवाओं में चिंतन, नवाचार की अद्भुत क्षमता है। भारत को विकसित व समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को अपने समृद्ध विरासत, स्वामी विवेकानंद, मदन मोहन मालवीय और महंत दिग्विजयनाथ जैसे महान व्यक्तित्व व उनसे मिली प्रेरणा को भी याद रखना होगा।
उन्होने कोरोना प्रबंधन को लेकर भी मुख्यमंत्री की प्रसंशा करते हुये कहा कि, कहा कि मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के दौरान न केवल डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ व कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाया बल्कि खुद कोरोना पीड़ित होने के बावजूद लोगों के बीच जाकर उनका साहस बढ़ाते रहे। कोरोना संकट में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ काम किया। चिकित्सा के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी तय मानकों पर उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहे, इसी नई सोच से यहां काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को जी-20 का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है। यहां 76 फीसद सरफेस वाटर सिंचन होता है, लक्ष्य 100 फीसद का है। जी-20 के माध्यम से हम कृषि उत्पादों और उनका मूल्य संवर्धन कर किसानों को आर्थिक रूप से और समृद्ध कर सकेंगे।
बिरला ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ की तपोभूमि गोरक्षनगरी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक है। आजादी के आंदोलन में जब मदन मोहन मालवीय ने संस्कारप्रद व समग्र व्यक्तित्व विकास वाली शिक्षा के विचार दिए तब महंत दिग्विजयनाथ ने उसी अनुरूप महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर राष्ट्रीयता व समग्र व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देने वाली शिक्षा का बीजारोपण किया। उन्होने महिला शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि व आयुर्वेद शिक्षा पर भी ध्यान दिया। आज इस परिषद का विस्तार 52 शिक्षण संस्थाओं तक हो चुका है। युवाओं को प्रेरणा देने के लिए परिषद का नामकरण राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप के नाम पर किया।
इस स्वागत संबोधन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो उदय प्रताप सिंह ने शिक्षा परिषद की प्रगति यात्रा की सविस्तार जानकारी दी। समारोह के दौरान महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज की अर्धवार्षिक पत्रिका मानविकी तथा नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य पूर्णचन्द्र उपाध्याय की पुस्तक नीलकंठ महाकाव्यम का विमोचन लोकसभा अध्यक्ष व मुख्यमंत्री ने किया। सप्ताह भर चली विभिन्न स्पर्धाओं के 650 विजेताओं में से 238 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने हाथों से पुरस्कृत किया।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सुपुत्री अंजली बिरला, सांसद रविकिशन शुक्ल, कमलेश पासवान, जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह, पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष/ एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह, विधायक फतेह बहादुर सिंह, श्रीराम चौहान, राजेश त्रिपाठी, महेंद्रपाल सिंह, विपिन सिंह, डॉ विमलेश पासवान, इंजीनियर सरवन निषाद, प्रदीप शुक्ल, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जेपी पाण्डेय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव, महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल अतुल वाजपेयी, नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य पूर्णचंद्र उपाध्याय, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारी एवं सदस्य, परिषद की सभी संस्थाओं के प्रमुख, शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन डॉ श्भगवान सिंह व आभार ज्ञापन दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ ओमप्रकाश सिंह ने किया।
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