संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा) डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की भारी कमी के साथ, जिले के किसानों के पास गेहूं की फसल बोने का समय नहीं हैl क्योकि 15 नवंबर के आसपास है। विशेष रूप से प्रति एकड़ 55 किलोग्राम डीएपी उर्वरक फसल बोने के लिए आवश्यक है। परेशान किसानों ने कई समितियों पर धरना भी दे चुके हैं।
ध्यातव्य है कि जिले खरीफ की फसलों की कटाई-मड़ाई का काम लगभग समाप्त हो चुका है। किसान रबी की बुआई की तैयारी में तेजी से जुट गए हैं क्योंकि सीजन समाप्ति की ओर अग्रसर है। परन्तु साधन सहकारी समितियों सहित अन्य सरकारी गोदामो पर डीएपी खाद उपलब्ध न होने के कारण लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ऐसी दशा में किसानों की आलू, मटर, सरसों, चना आदि दलहनी- तिलहनी फाइलों की बुआई बाधित हो रही है। जिले के खालीलाबाद, हैंसर, पौली ब्लाक नावन कला, खुशियाली, हैंसर, कोचरी, लोहरैया, मड़पौना, परसहर, बघौली में आदि सहकारी समितियां संचालित हैं। इन्हीं समितियों के द्वारा समय-समय पर किसानों को खाद बीज की आपूर्ति की जाती है। इस समय जब किसानों को रबी की बुआई के लिए डीएपी खाद की विशेष आवश्यकता हैl तब यह गोदामों से गायब है और किसानों को दर दर भटकना पड़ रहा है। सरकारी गोदामो पर खाद की उपलब्धता न होने के कारण क्षेत्र में आलू, मटर, चना, सरसों की बुआई बाधित हो गयी है जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है l नवम्बर से गेहूँ की बुआई भी तेजी के साथ बढ़ेगी। ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की अधिक जरूरत पड़ेगी। विनय सिंह, ब्रजेश पांडेय, रितेश, अनिल, सईद समेत क्षेत्र के तमाम किसानों का कहना है कि यदि डीएपी खाद की आवश्यकता पूरी नहीं हुई तो रबी की बुआई पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगाl उनका कहना है कि खरीफ की मुख्य फसल धान सूखे की मार से प्रभावित हुईl जिसके कारण पैदावार काफी कम हुई हैl तो अब रबी की फसल पर खाद की कमी के असर पड़ने के आसार प्रबल हो गये हैं।
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