
भागलपुर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भागलपुर जिले के बहुचर्चित तेजाब कांड में आखिरकार सात साल की लापरवाही के बाद दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर गाज गिर गई है। वर्ष 2018 में अकबरनगर थाना क्षेत्र के हसनगंज गांव में विवाहिता रजनी कुमारी की तेजाब पिलाकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस हृदयविदारक घटना ने उस समय पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था, लेकिन सात वर्षों तक न तो कोई ठोस गिरफ्तारी हुई और न ही अनुसंधान में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई। अब, इस मामले में लंबे समय से चल रही जांच की सुस्ती को गंभीरता से लेते हुए भागलपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विवेक कुमार ने कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने अनुसंधान में लापरवाही बरतने वाले संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका की समीक्षा की और प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जिन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, उनमें तत्कालीन जांच अधिकारी, थानाध्यक्ष और कुछ तकनीकी सहयोगी शामिल हैं। इन अधिकारियों पर केस डायरी में देरी, आरोपियों की गिरफ्तारी में ढिलाई, और पीड़िता के परिजनों की शिकायतों की अनदेखी जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। आईजी विवेक कुमार ने स्पष्ट किया है कि “इस तरह की लापरवाही न सिर्फ पीड़िता के परिवार के साथ अन्याय है, बल्कि यह पूरे तंत्र की जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। ऐसे किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा जो अपने कर्तव्यों से विमुख हो।” रजनी कुमारी की मां ने न्याय की आस में सात वर्षों तक कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई थी, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब जब कार्रवाई की शुरुआत हुई है, तो परिजनों ने आंशिक संतोष जताया है और उम्मीद जताई है कि जल्द ही दोषियों को सजा भी मिलेगी।इस घटनाक्रम ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन में जवाबदेही और निष्पक्षता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। तेजाब कांड जैसे जघन्य अपराधों में समयबद्ध और निष्पक्ष जांच न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज में कानून के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए भी अनिवार्य है।
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