
नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर एक विशेष बहस शुरू हुई, जिसने देश की सुरक्षा नीति, आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त कार्यवाही और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी छवि को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया। बहस की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के प्रभावशाली उद्घाटन भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक चेतावनी दी कि यदि उसने भविष्य में कोई दुस्साहस करने की कोशिश की, तो भारत फिर से करारा जवाब देने में संकोच नहीं करेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत अब नई नीति और नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारे सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए न केवल आतंकवादियों को जवाब दिया है, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।”
रक्षा मंत्री के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी बहस में हिस्सा लेते हुए बताया कि किस तरह ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत ने न केवल सीमाओं के भीतर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ अपना कड़ा रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे दुनिया भर के देशों ने भारत के इस कदम का समर्थन किया और इसे आत्मरक्षा का वैध अधिकार माना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने मंत्रियों द्वारा दिए गए बयानों की सराहना करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“राजनाथ सिंह जी ने भारत के सुरक्षा तंत्र की सफलता और हमारे सशस्त्र बलों के साहस पर एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।”
इसके साथ ही उन्होंने एस. जयशंकर के भाषण को “उत्कृष्ट” बताते हुए साझा किया और लिखा,
“उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवाद के खतरे से लड़ने के भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से सुना है।”
लोकसभा में इस विशेष बहस के दौरान सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने भारत के सुरक्षा बलों की सराहना की और एकजुटता दिखाते हुए इस ऑपरेशन को भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ बताया।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
हाल ही में अंजाम दिया गया यह गुप्त सैन्य अभियान भारतीय सेना की एक विशेष कार्रवाई थी, जिसमें सीमापार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन को उच्च स्तरीय खुफिया जानकारी और सटीक योजना के आधार पर अंजाम दिया गया, जिसने सीमापार सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क को करारा झटका दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बहस से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब रणनीतिक और सैन्य स्तर पर पूरी तरह सजग और निर्णायक भूमिका में है।
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