चुनाव जीतने के बाद चेयरमैन नदारद, प्रतिनिधि के भरोसे चल रही नगर पंचायत
(लखनऊ से अभिषेक की रिपोर्ट)
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा )नगर पंचायत मोहनलालगंज में इन दिनों एक ही सवाल गूंज रहा है—”चेयरमैन साहब कहां हैं?” चुनाव जीतने के बाद से चेयरमैन सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। जनता अब सवाल उठाने लगी है कि जिस जनप्रतिनिधि को उन्होंने भारी मतों से जिताकर नगर पंचायत की जिम्मेदारी सौंपी थी, वह आखिर कहां गायब हो गया?
जानकारी के मुताबिक, चेयरमैन ने चुनाव के बाद से अब तक जनता से कोई संवाद नहीं किया है और न ही नगर पंचायत कार्यालय में उनकी सक्रिय उपस्थिति दर्ज हुई है। सभी कार्यों की बागडोर एक “अधिकारिक प्रतिनिधि” के हाथों में है, जो चेयरमैन की ओर से फैसले ले रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब वे किसी शिकायत या कार्य के लिए कार्यालय पहुंचते हैं, तो वहां केवल प्रतिनिधि ही मौजूद होता है। इससे नाराज जनता ने अब चेयरमैन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कुछ स्थानीय लोग तो मजाक में कहने लगे हैं कि “चेयरमैन की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज करानी पड़ेगी।”
जनता की आवाज
स्थानीय निवासी रामप्रकाश यादव ने कहा, “हमने चेयरमैन को चुना था, उनके किसी एजेंट को नहीं। जब वह दिखते ही नहीं तो फिर जिम्मेदारी निभा कौन रहा है?”
वहीं एक महिला वार्ड सदस्य ने कहा, “जनता को चेयरमैन से उम्मीद थी कि वह जनता के बीच रहेंगे, समस्याएं सुनेंगे और समाधान करेंगे, लेकिन वह तो गायब ही हो गए हैं।”
प्रतिनिधि के जरिए हो रहा कामकाज
नगर पंचायत के दस्तावेजों और कामकाज पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि सारे कार्यों की देखरेख एक ‘अधिकारिक प्रतिनिधि’ द्वारा की जा रही है। कई फाइलों और योजनाओं पर चेयरमैन की बजाय उसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर नजर आते हैं। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनुचित है, बल्कि यह जनता के भरोसे के साथ भी धोखा है।
विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों के स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे पर प्रशासन का ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि अगर चुना हुआ प्रतिनिधि कार्यभार नहीं संभाल रहा है, तो उसकी विधिक और प्रशासनिक समीक्षा होनी चाहिए।
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