
विश्व जनसंख्या दिवस से 31 जुलाई तक चलेगा सेवा और जागरूकता पखवाड़ा
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)। हर वर्ष की तरह इस बार भी 11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस इस बार केवल एक दिन का आयोजन नहीं बल्कि 21 दिनों का एक सक्रिय अभियान है। जिसे स्थिरता पखवाड़ा के रूप में 11 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य परिवार नियोजन को अपनाकर समाज को सशक्त, संतुलित और स्वस्थ बनाना है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 संजय शर्मा ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या केवल संसाधनों पर बोझ नहीं डालती बल्कि इसका असर महिलाओं की सेहत युवाओं के अवसर और सामाजिक संतुलन पर भी पड़ता है। इस वर्ष की थीम लैंगिक समानता युवाओं के लिए शिक्षा,स्वास्थ्य,और परिवारों में संतुलन को ध्यान में रखते हुए यह कोशिश की जाएगी कि परिवार नियोजन सिर्फ जनसंख्या स्थिरीकरण नहीं बल्कि जीवन को बेहतर बनाने का साधन भी है। नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ0 संतोष राना ने बताया कि अभियान दो चरणों में चल रहा है—पहले चरण में (27 जून–10 जुलाई) आशा और एएनएम कार्यकर्ता घर-घर जाकर नवविवाहित और लक्षित दंपत्तियों को गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी और परामर्श दे रही हैं। दूसरे चरण में (11–31 जुलाई) सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर नसबंदी,अंतरा इंजेक्शन, आईयूसीडी,माला-एन,छाया गोलियाँ जैसी नि:शुल्क सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। नवविवाहित जोड़ों को शगुन किट दी जाएगी और सभी केंद्रों पर ‘कंडोम बॉक्स’ लगाए जाएंगे ताकि लोग बिना झिझक साधनों को ले सकें। उन्होंने बताया वित्तीय वर्ष 2024–25 में अस्थायी साधनों में 61,256 महिलाओं ने अंतरा, 30,586 ने पीपीआईयूसीडी, और 15,374 ने आईयूसीडी को अपनाया है। 4.12 लाख से अधिक कंडोम,98 हजार ओसीपी और 76 हजार छाया गोलियाँ वितरित की जा चुकी हैं। स्थायी साधनों में 28 पुरुष नसबंदी और 4435 महिलाओं को नसबंदी की सेवा दी जा चुकी है। “पुरुषों की भूमिका भी है अहम – डीएचईआईओ बृजेश सिंह ने बताया कि परिवार केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है। पुरुषों को भी बराबर की भागीदारी निभानी चाहिए। नसबंदी जैसे स्थायी उपायों को अपनाकर वे न सिर्फ अपनी पत्नी की सेहत की चिंता कर सकते हैं बल्कि परिवार की खुशियों और भविष्य को सुरक्षित भी बना सकते हैं। यही सच्चा साथ है जहां जिम्मेदारी और निर्णय दोनों साझे होते हैं। जिलाधिकारी मोनिका रानी ने कहा कि यह अभियान हर परिवार को विकल्प हर महिला को सम्मान देने की दिशा में एक संगठित प्रयास है जिसमें जनभागीदारी सबसे अहम है।
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