
(शशांक की रिपोर्ट)
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। सरकारी विद्यालयों के युग्मन (मर्जर) के खिलाफ सोमवार को देवरिया जनपद की सड़कों पर अभूतपूर्व शिक्षकीय एकजुटता देखने को मिली। जिले के कोने-कोने से आए हजारों की संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाओं ने मर्जर नीति के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। हाथों में विरोध की तख्तियां, मुखर नारों और पैदल मार्च के साथ यह आंदोलन जिलेभर में चर्चा का केंद्र बन गया।
नीति के खिलाफ शिक्षकों का गुस्सा फूटा
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा बिना समुचित योजना और स्थानीय परिस्थिति को ध्यान में रखे विद्यालयों का मर्जर करना छात्रों और शिक्षा व्यवस्था – दोनों के लिए घातक साबित होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों के एकीकरण से स्कूल दूर हो जाएंगे, जिससे बच्चों को स्कूल आने-जाने में कठिनाई होगी।
मुख्य आपत्तियां:
ग्रामीण क्षेत्रों में दूरी बढ़ेगी: इससे छोटे बच्चों की उपस्थिति प्रभावित होगी।
नामांकन में गिरावट: छात्रों की संख्या घटने की आशंका से विद्यालयों पर बुरा असर पड़ेगा।
शिक्षकों के तबादले और संसाधनों की कमी: इससे कार्यभार बढ़ेगा और शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
नेताओं ने किया सरकार को आगाह
प्रदर्शन के दौरान प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ सहित कई संगठनों के पदाधिकारियों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला बिना किसी जमीनी अध्ययन के लागू किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री को भेजा गया ज्ञापन
शिक्षकों ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मुख्यमंत्री से मर्जर नीति को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की गई।
शांति पूर्ण परंतु दृढ़ विरोध
पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित हुआ, लेकिन शिक्षकों की एकजुटता और संख्या देखकर यह स्पष्ट हो गया कि यह आंदोलन भविष्य में सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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