देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) l संत बिनोवा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देवरिया में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में सरदार बल्लभ भाई पटेल की 147 वीं जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि श्रद्धा मनाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्रा व संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉo कृष्ण मुरारी गुप्त ने किया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम अधिकारी डॉo कृष्ण मुरारी गुप्त ने कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए भारत रत्न सरदार बल्लभ भाई पटेल और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालाl
कार्यक्रम की शुरुआत सरदार पटेल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्रा ने कहा कि गांधीवादी विचारक सरदार पटेल ने 565 रियासतों को अपनी कुशल कूटनीति के द्वारा एक न किया होता तो आज भारत विभिन्न हिस्सों और छोटे-छोटे देशों में विभाजित हुआ रहता। राष्ट्र की संकल्पना खत्म हो चुकी होती। सत्य अहिंसा के पुजारी सरदार पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरन खेड़ा और बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया। यदि सरदार पटेल आज भी जीवित होते तो भाषाई, क्षेत्र वाद, लैंगिक आदि विभेद ना होते और अन्य समस्याएं जैसे किसान समस्याएं नगण्य होती। ऐसे महान व्यक्तित्व को भारत में पुनर्जन्म हो, ऐसी हमारी ईश्वर से कामना हैl जिससे देश विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां से निजात पा सके।
हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंशा देवी ने सरदार पटेल जी के जीवन और व्यक्तित्व पर कविता के माध्यम से अपना विचार व्यक्त किया। प्रोफ़ेसर मंशा ने सरदार पटेल को एक सामान्य परिवारिक पृष्ठभूमि से होते हुए भी स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया।
प्रोo अरविंद कुमार विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग सरदार पटेल की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि सरदार पटेल देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैंl भारत को कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल तक एक करके आने वाले राजनेताओं के लिए अनुकरणीय विषय बना दिया।
कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर चंदेश बारी ने सरदार पटेल को भारतीय एकता और अखंडता का प्रतीक बताया। देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भारत की भौगोलिक एकता को एक सूत्र में पिरोया 1947 के युद्ध में भारत पाकिस्तान के युद्ध में देश के समस्त संसाधनों को राष्ट्रीय सुरक्षा में झोंक दिया। यदि सरदार पटेल ना होते तो भारत का मानचित्र कुछ और ही होता। सरदार पटेल ने रक्षा और सुरक्षा के लिए जो कदम कदम उठाया वह आज भी राजनीतिक गलियारों में आदर्श बना हुआ है। डॉक्टर चंद्रेश कुमार ने बताया हम सरदार पटेल जी के आदर्शों को विस्मृत करते जा रहे हैं ।आज कश्मीर से कन्याकुमारी अरुणाचल से गुजरात ,अंडमान निकोबार, लक्षदीप ऐसे राज्य हैं, जहां के लोगों को भारतीय शासन केप्रति आत्मीय लगाव नहीं दे पाए । सुदूर क्षेत्र का नागरिक अपने आप को पड़ोसी देशों के संस्कृति और शासन से अपने आपको जोड़कर देखता है, यह सरदार पटेल जी के विचार और भावनाओं के विपरीत है आज हमें उनके आदर्शों को संजोए रखने का प्रयास करना चाहिए।
डॉ चंद्रेश बारी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी हर लेडी की पुण्यतिथि को भी बताया आज ही के दिन 1984 में उनकी हत्या कर दी गई थी। डॉ चंद्रेश बारी ने उनके कृतित्व पर चर्चा करते हुए बताया है कि 1971 के भारत-पाक युद्ध और 1972 के शिमला समझौता द्वारा पाकिस्तान को 95000 सैनिकों को युद्ध बंदी बनाकर पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया और मनचाहा समझौते के लिए भर्ती किया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण आज भी भारतीय शासन में आमजन के विश्वास का प्रतीक था।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर कृष्ण मुरारी गुप्त राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों और उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर नाजिश बानो, समाजशास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफ़ेसर अशोक सिंह,हिंदी विभाग के डॉक्टर शैलेंद्र राव राजनीति शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर भूपेश मणि त्रिपाठी, जिला नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना विवेक मिश्र , डॉक्टर तूलिका पांडे ,मंतोष मौर्य, डॉक्टर शगुफ्ता नाज ,डॉ राजकुमार गुप्ता, डॉ पुनीत कुमार ,निखिल गौतम । राष्ट्रीय योजना स्वयंसेवक रोशनी मिश्रा, वंदना शर्मा, खुशी तिवारी जयमंगला पटेल आदि उपस्थित रहे।
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