बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)
समसातरहर रिसियां भारतीय तोपखाने का अपना अलग ही इतिहास रहा है। 01अक्टूबर 1983 को इसी तोपखाना का हिस्सा बनी 305 मीडियम रेजीमेंट (बोफोर्स) अब फील्ड में बदल चुकी अपने कर्तव्यनिष्ठा और विश्वसनीयता के लिए 1999 के युद्ध में सिक्किम से कारगिल सेक्टर के लिए आदेशित की गई।कारगिल, द्रास,बटालिक जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में रेजिमेंट जबर्दस्त ऐक्शन लेते हुए तोपों की गड़गड़ाहट से इन्फेंट्री बटालियन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आगे बढ़ी,वहीं तुर्तुक, लद्दाख, और ग्लेशियर जैसी गगन चुम्बी पहाड़ियों पर दुश्मनों के ठिकानों को कई–कई हजार गोलों को दागते हुए न सिर्फ़ टाइगर हिल पर तिंरगा लहराया अपितु इतिहास के पन्नों में “कारगिल कैनन” नाम चिन्ह अपने नाम दर्ज कराया। पुर्व सैनिक विनय कुमार ने अपनी यादों को ताज़ा करते हुए ग्रामीण इलाका समसातरहर में कारगिल कैनन के 40 वें स्थापना दिवस का केक काटते हुए यूनिट के जवानों को रेजीमेन्ट की वीरता और साहस को सलाम पेश करते हुए शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। बच्चों को उपदेशित करते हुए कि जिवन में देश की गरिमा से बढ़कर कुछ भी नही जब देश ही सुरक्षित नहीं रहेगा तो हमारा जीवन सार्थक कैसे हो सकता है। जिवन के अंतिम क्षण तक देश की हिफाजत करना ही हम सबका स्वाभिमान है। ’305 की इज्जत मेरी इज्जत’ के जयघोष के साथ वर्तमान समय में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल वरुण शर्मा को आभार प्रकट किया।मौके पर सचिन (एन सी सी) श्रवण कुमार,अरविंद, विवेक,बृजभुषण,संजय, अरविंद,पलक ,प्रीति, द्रौपदी,और ग्रामीण अंचल के छात्र छात्राओं के साथ अभिवावक भी उपस्थित रहे।
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