एक के बाल अपचारी होने के कारण पत्रावली अलग
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। कुल्हाड़ी से मारकर गैर इरादतन हत्या के चार आरोपियों को अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक प्रथम महेंद्र कुमार सिंह की कोर्ट ने 10 वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपियों रामप्रीत, जोगिन्द्र उर्फ जोगेन्द्र, महेन्दर उर्फ महेन्द्र एवं हरीराम पर सजा के साथ ₹10-10 हजार कुल ₹ 40 हजार का अर्थदण्ड भी लगाया है। इन आरोपियों में रामप्रीत, जोगेन्द्र एवं महेन्द्र सगे भाई हैं। अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपियों को एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
एडीजे फास्ट ट्रैक प्रथम की कोर्ट ने अर्थदण्ड की धनराशि में से आधी धनराशि मृतक के परिवारजनों को भुगतान करने का भी फैसला सुनाया है। एक आरोपी के बाल अपचारी होने के कारण उसकी पत्रावली अलग हो गई है।
मामला महुली थानाक्षेत्र के भितिनी उर्फ भिटनी का है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अभिमन्यु पाल ने बताया कि प्रकरण में मृतक के पिता राम दयाल ने अभियोग पंजीकृत कराया था। वादी का आरोप है कि उसके पड़ोसी रामप्रीत पुत्र लालमन से उसका सहन के जमीन का विवाद है। विरोधी उसके सहन में दरवाजा खोलना चाह रहे थे। वादी ने मना कियाl इसी बात को लेकर विपक्षी और उसके घर के लोग दिनांक 30 अक्टूबर 2010 को समय लगभग 8 बजे रात में गाली देते हुए जान से मारने की धमकी देने लगे। वादी तथा उसके पुत्र संत कुमार एवं रविन्दर ने मना किया तो रामप्रीत कुल्हाड़ी लेकर तथा जोगिन्द्र उर्फ जोगेन्द्र एवं महेन्दर उर्फ महेन्द्र पुत्रगण लालमन, गब्बर और हरीराम पुत्र पतिराज हाथ में लाठी डंडा लेकर आ गए। रामप्रीत ने कुल्हाड़ी से पुत्र रविन्दर के माथे पर मार दिया। जिससे उसका माथा फट गया और बेहोशी की हालत में झाड़ी में गिर गया। आरोपियों ने मेरी पत्नी, पुत्री एवं पुत्र संत कुमार को मारपीट कर घायल कर दिया। रात लगभग 12 बजे घायल लड़के रविन्दर की खोज किया तो वह बबलू गुप्ता के मकान के पीछे झाड़ी में बेहोशी की हालत में मिला । घायलावस्था में उसे जिला अस्पताल खलीलाबाद ले गए । डाक्टरों मेडिकल कालेज गोरखपुर रेफर कर दिया। जहां उसकी मृत्यु हो गई।
वादी के प्रार्थना पत्र पर पुलिस ने अभियोग पंजीकृत करके सभी पांच आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अभिमन्यु पाल ने बताया कि आरोपी गब्बर के बाल अपचारी होने के कारण उसकी पत्रावली अलग कर दिया गया। अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय प्रथम महेंद्र कुमार सिंह की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात चारों आरोपियों को दोषसिद्ध करार देते हुए 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाया ।
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