November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

यह संसार आठ अरब लोगों का घर है

यह संसार आठ अरब लोगों का घर है,
भारत का हिस्सा 1.41 अरब उसमें है,
सब गड्डमगड्य हो गया सुरसा मुख
जैसी बढ़ती भारत की जनसंख्या है।

अगले दो चार सालों में हम सबसे
ज़्यादा जन संख्या वाले हो जाएँगे,
चीन को पीछे छोड़ जाएँगे, नंबर
एक जनसंख्या वाले बन जाएँगे।

विश्व गुरु बनने से पहले आबादी
में हम दुनिया के गुरू बन जाएँगे,
खेती पाती, जगह ज़मीन जंगल,
सब धीरे धीरे समाप्त हो जाएँगे।

कंकरीट के बहुमंज़िला जंगल होंगे,
बिल्डर सभी भारत में मालामाल होंगे,
छोटे छोटे फ्लैट में हम बहुसंख्यक,
बनकर ग़ुलामी की सीढ़ी चढ़ते होंगे।

राजनीतिक दलों की इच्छा शक्ति
अब नहीं जनसंख्या वृद्धि रोकने की,
अल्पसंख्यक अब पचास करोड़ होंगे,
वोटों की राजनीति से घायल होंगे।

लोकतन्त्र का ऐसा बाना अब नहीं
मुआफ़िक है आज हमारे भारत के,
इस पर कुछ अधिक सोचना होगा,
नियंत्रण हो, ऐसा दिखलायें करके।

आदित्य पर्यावरण संरक्षण करके,
पेंड़ पौधे अधिक से अधिक लगाकर,
जनसंख्या पर पूर्ण नियंत्रण करके,
रखना पूरे भारत को ख़ुशहाल करके।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ