November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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मोगली पाठशाला जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले बच्चों की जिंदगी में तालीम की रोशनी ला रही है

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) कतर्नियाघाट वन्य जीव अभ्यारण्य में वन विभाग और सामाजिक संगठनों के सहयोग से चलाई जा रही मोगली पाठशाला जंगल से सटे रिहायशी इलाकों में रहने वाले बच्चों की जिंदगी में तालीम की रोशनी ला रहीं है। अपनी तरह की इस अनूठी पाठशाला में बच्चों को प्रोजेक्टर, लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल, टीवी स्क्रीन वगैरह पर दिलचस्प एवं मनोरंजक ढंग से आधुनिक शिक्षा दी जा रही है। साथ ही उनकी निरंतर काउंसिलिंग कर उन्हें सामान्य शिक्षा के साथ जंगल एवं प्रकृति के महत्व, जंगल से उनके रिश्ते तथा जानवरों के बारे में बताते हुए जंगल से दोस्ती का पाठ पढ़ाया जा रहा है। रुडयार्ड किपलिंग के उपन्यास द जंगल बुक का पात्र मोगली जब 1990 के दशक में जापानी टीवी एनीमेशन सीरीज द जंगल बुक शोनेन मोगली में जीवंत होकर उभरा तो उसका किरदार लोगों में खूब मशहूर हुआ था।इस अनूठी पाठशाला के संचालन में अहम भूमिका निभा रहे प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) आकाशदीप वधावन ने बताया, वन्य क्षेत्रों और उसके आस-पास बहुत से समुदाय रहते हैं जिनका जीवन जंगल पर निर्भर है और ये कहीं न कहीं हाशिए पर रह रहें समाज से आते हैं। अभ्यारण्य के मोतीपुर और बर्दिया क्षेत्र में संचालित दो मोगली स्कूलों में इन इलाकों के करीब 350 बच्चे अध्ययनरत हैं। अभी हम इसे एक ट्यूशन सेंटर की तरह संचालित कर रहे हैं। फिर भी हमारे यहां मोतीपुर में लगभग 150 और बर्दिया में करीब 200 बच्चे पढ़ने आते हैं।