गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। भारत सरकार के महत्त्वाकांक्षी मिशन विकसित भारत@2047 के तहत डॉ. विस्मिता पालीवाल, एसोसिएट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को एक महत्वपूर्ण शोध परियोजना के लिए अनुदान प्रदान किया गया है। “राजस्थान और उत्तर प्रदेश के माध्यमिक और उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण साक्षरता की भूमिका का अध्ययन” नामक इस परियोजना को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) द्वारा विजन विकसित भारत@2047 पहल के अंतर्गत ₹18 लाख का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह सहयोगात्मक परियोजना राजस्थान और उत्तर प्रदेश के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण साक्षरता के स्तर का मूल्यांकन करने और उनके विकास हेतु नीतियां और हस्तक्षेप विधियां तैयार करने का लक्ष्य रखती है। इस परियोजना में विभिन्न विशेषज्ञों की भागीदारी है, जिसमें अमिटी विश्वविद्यालय के प्रो. जगदीश प्रसाद, चिटकारा विश्वविद्यालय के डॉ. नवीन कुमार, गोरखपुर विश्वविद्यालय के कानून विभाग के डॉ. आशीष कुमार शुक्ला, और समाजशास्त्र विभाग के डॉ. मनीष कुमार पांडेय शामिल हैं। प्रत्येक विशेषज्ञ अपने-अपने क्षेत्र में परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर योगदान देंगे, जैसे डेटा विश्लेषण, कानूनी एवं नैतिक पहलू और सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण। गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का ‘विकसित भारत@2047’ का दृष्टिकोण उच्च शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को अत्यधिक महत्वपूर्ण मानता है। इस दिशा में मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण साक्षरता को बढ़ावा देने वाली यह परियोजना इस दृष्टिकोण के अनुरूप है और नीतिगत हस्तक्षेपों के निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगी।” प्रमुख अन्वेषक डॉ. विस्मिता पालीवाल ने बताया कि यह अध्ययन उत्तर प्रदेश और राजस्थान के उन पाँच सबसे वंचित जिलों पर केंद्रित होगा, जिन्हें बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 में चिह्नित किया गया है। उन्होंने कहा, “यह शोध छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा और नीति-निर्माताओं के लिए उपयोगी सुझाव प्रदान करेगा, जो ‘विकसित भारत’ के अभियान के लिए अत्यंत आवश्यक है।” इस प्रोजेक्ट के को-पीआई डॉ. आशीष शुक्ला ने बताया कि विधि विभाग, पहली बार किसी प्रोजेक्ट में सहभागिता कर रहा है। यह विभाग के लिए गौरव की बात है। यह प्रोजेक्ट विजन विकसित भारत@2047 को प्राप्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। यह परियोजना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीएस) के तहत लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) और लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) के साथ जुड़ी है, जिससे भारत का स्वास्थ्य और स्वच्छता के वैश्विक मानकों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई जाती है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह शोध देश के विकास एजेंडे के लिए महत्त्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करेगा। आईसीएसएसआर द्वारा ₹18 लाख का शोध अनुदान स्वीकृत किया गया है, जो कि विकसित भारत@2047 मिशन के प्रति भारत की शैक्षणिक भागीदारी को दर्शाता है। इस परियोजना में विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों के सहयोग से व्यापक परिणाम सामने आएंगे, जो शैक्षणिक नीतियों के साथ-साथ देश के युवाओं के भविष्य के स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करेंगे। डॉ. विस्मिता की इस उपलब्धि पर गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमित जैन, गोविवि के प्रति कुलपति प्रो. शान्तनु रस्तोगी, मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. धनंजय कुमार, डीएसडब्ल्यू प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. अहमद नसीम, प्रो. अनुराग द्विवेदी, प्रो अजय शुक्ल, प्रो. शरद मिश्रा, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी,डॉ. तूलिका मिश्रा, डॉ अभिषेक शुक्ला, डॉ. अखिल मिश्र समेत अनेक शिक्षकों ने बधाई दी। > कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि “यह परियोजना विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो ‘विकसित भारत@2047’ की राष्ट्रीय दृष्टि में योगदान देने वाली प्रभावशाली शोध परियोजनाओं को बढ़ावा देती है। हम इस महत्त्वपूर्ण अकादमिक कार्य का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करते हैं, जो हमारे युवाओं के स्वास्थ्य से जुड़े अहम मुद्दों को संबोधित करता है।”
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