December 3, 2024

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सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा में महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत

खुखुन्दू/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। मुसैला क्षेत्र के भलुअनी दुबे में व्रतियों ने तोड़ा अपना निर्जला उपवास, सूर्य को अर्घ्य देकर किया पारण। गांव में लोकआस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से संपन्न हुआ, इस मौके पर व्रतियों ने तालाब के घाट पर पहुंचकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। इस महापर्व के अंतिम दिन व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने निर्जला उपवास का पारण किया। इस दौरान घाटों पर व्रतियों के बीच ठेकुआ प्रसाद का वितरण भी किया गया। छठ पूजा के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा का पालन किया गया, जिसे उषा अर्घ्य भी कहा जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती महिलाएं कई कठिन नियमों का पालन करती हैं। पहले दिन नहाय खाय होता है, जिसमें व्रती को स्नान कर सात्विक आहार खाना होता है। दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, इस दिन गुड़, दूध और चावल वाली खीर बनाई जाती है। इसके बाद तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे का निर्जला उपवास खोला जाता है। गांव में भव्य प्रसाद वितरण गांव के लड़को ने किया था, जिसमे सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण एवं काफी की व्यवस्था भी किया गया था। इस विशेष आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण करते हुए कहा कि घाट पर आकर प्रसाद ग्रहण करने का एक अलग ही अनुभव होता है, जो उन्हें छठी माई के प्रति और भी श्रद्धा से जोड़ता है।छठ पूजा का महत्व और मान्यता छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सूर्य की उपासना से अच्छे स्वास्थ्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है, वहीं छठी मैया की पूजा करने से संतान को लंबी और सुखी जीवन मिलता है। छठ पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जिनकी पहले से संतान है, उनकी संतान को लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। इस दिन व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं।
पारण की प्रक्रिया और पारंपरिक विधि छठ व्रत का पारण उषा अर्घ्य के बाद किया गया। व्रतियों ने पारण पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद से व्रत खोला। पारण के बाद ठेकुआ, केला और मिठाई आदि खाकर व्रतियों ने अपना उपवास समाप्त किया। पारण करने से पहले व्रतियों ने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और छठी मैया का प्रसाद सभी में बांटकर खुद ग्रहण किया। कुंदन,चतुर्वेदी,सुमन,शकुंतला,पिंकी, रंजू,अश्वनी, अवनीश,सौरभ,हर्ष,श्यामबहादुर,संजय मिश्र,संतोष उपस्थित रहे। वैकुण्ठपुर प्रतिनिधि के अनुसार दुवौली ग्राम मे सुरेश मिश्रा, शांति देवी, रिकू मिश्रा (पवन ), रेखा मिश्रा, परगना मिश्रा, तनमयी मिश्रा, हरी मिश्रा के नेतृत्व मे छ्ठ पर्व धूम-धाम से मनाया गया। भटनी प्रतिनिधि के अनुसार राकेश मिश्रा, नागेश मणि, मनोज गुप्ता, जितेन्द्र बरनवाल, श्रेया बरनवाल, रौनक बरनवाल, सुनीता बरनवाल, प्रवीण मिश्रा आदि उपस्थित थे । नोनापार प्रतिनिधि के अनुसार चतुर्भूज त्रिपाठी, मुरेश, मुरारी, लक्ष्मी, टिकू, सिद्धू, हरिओम, गुडडू, नितेश, लालटू, अखिलेश, राजेश, वेचू माधव आदि उपस्थित थे।