लहसुन, प्याज़ गुण धर्म से जैसे,
बेस्वाद, तीक्ष्ण गंध वाले होते हैं,
उनको कपूर जल से धोकर रखिये
अपने गुण धर्म वह नहीं बदलते हैं।
चाहे केसर इत्र लगाकर रखिये,
उनमें चंदन लेप लगाकर रखिये,
गन्ध नहीं बदले उनकी न सुगंध,
सुस्वाद इनमें न कभी चखिये ।
दुर्जन जन को सत्संग कराइये,
अपने कुपन्थ से वे कबहूँ न हटैं,
आदत उनकी वे कबहूँ न तजैं,
दुर्भाव सुभाव उनके कबहूँ न बनैं ।
मानव का जीवन भेद पूर्णरूप से
समझना अत्यंत कठिन होता है,
ख़ुशी समझने के लिये भी दुःख
की पहचान तो करना पड़ता है।
चुप रहना अच्छा है यह कहने के
लिये आवाज़ निकालनी पड़ती है,
उपस्थिति के लिए अनुपस्थिति
की आदित्य महत्ता तो होती है।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ शेर और हिरण के बीच दौड़ की होड़
सबसे सच्चा, अच्छा प्रेम वह होता है,
जो इंसान को इंसान बना रहने देता है,
और वह इंसान भी बिना बदले एक
सच्चा व अच्छा इंसान बन जाता है।
क्षमा याचना या भूल सुधार करना,
वह सद्गुण है जो कम लोगों में होता है,
ऐसा इंसान अपने अहंकार से ज़्यादा
अपने मित्रों व रिश्तों को संजोता है।
जीवन की सार्थकता हमेशा हमारे
मन की शान्ति में निहित होती है,
और मन की शान्ति तब मिलती है,
जब बुरा न मानने की आदत होती है।
जीवन में दुःख के समय ईश्वर पर
विश्वास रखना कठिन परीक्षा सा है,
यदि उस घड़ी में ईश्वर की आस्था एवं
विश्वास स्थिर हों, परीक्षा सफल है।
शेर और हिरण के बीच दौड़ की होड़
होती तो कई बार हिरण जीत जाता है,
क्योंकि शेर भोजन के लिए दौड़ता है,
हिरण अपने जीवन के लिए दौड़ता है।
जीवन में जीवन जीने का उद्देश्य
जरूरत से ज्यादा जरूरी होता है,
देखना यह है कि क्या अपने उद्देश्य में
मनुष्य हिरण की तरह सफल होता है।
अगर अच्छे कर्म करने पर भी लोग
किसी पर शक करें तो उन्हें करने दो,
शक हमेशा सोने की शुद्धता पर ही
होता है, कोयले की कालिख पर नहीं।
कभी कभी समस्याओं के लिए हल
की तुरंत आवश्यकता नहीं होती है,
बल्कि आदित्य उनसे आगे बढ़ जाने
की परिपक्वता की ज़रूरत होती है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
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