वन्दे मातरम्: राष्ट्रभावना का अमर जयघोष

150 वर्षों की प्रेरक यात्रा- मातृभूमि से राष्ट्रीय चेतना तक

• नवनीत मिश्र

भारत की स्वतंत्रता संग्राम यात्रा में “वन्दे मातरम्” वह अमर मंत्र है, जिसने समस्त देशवासियों के हृदय में देशभक्ति की ज्योति प्रज्वलित की। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा सन् 1875 में रचित यह गीत केवल एक साहित्यिक कृति नहीं, बल्कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की आत्मा सिद्ध हुआ। 150 वर्षों की इस गौरवपूर्ण यात्रा में यह गीत राष्ट्रीय चेतना, एकता और मातृभूमि के प्रति समर्पण का शाश्वत प्रतीक बन चुका है।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में “वन्दे मातरम्” गीत की रचना की थी। संस्कृत और बांग्ला भाषा के समन्वय से रचित इस गीत में भारत माता की दिव्य और जीवनदायिनी छवि उकेरी गई हैl “सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्, शस्यश्यामलाम् मातरम्।” इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने मातृभूमि को जीवंत शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, जो अपने संतानों को अन्न, जल और जीवन प्रदान करती है। यह गीत तत्कालीन परिस्थितियों में भारतीय समाज के स्वाभिमान और राष्ट्रीय गौरव की पुनर्स्थापना का माध्यम बना।
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब देश पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा था, तब “वन्दे मातरम्” स्वतंत्रता सेनानियों का प्रेरणास्रोत बना। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा इसका प्रथम गायन हुआ। इसके पश्चात 1905 के बंग-भंग आंदोलन में यह गीत राष्ट्रीय आंदोलन की आत्मा बन गया। स्वतंत्रता सेनानियों की सभाओं, जुलूसों और आंदोलनों में “वन्दे मातरम्” उद्घोष के रूप में गूंजता रहा। अंग्रेज़ी शासन ने इसे विद्रोह का प्रतीक मानकर प्रतिबंधित किया, परंतु राष्ट्रभक्तों ने इसे अपने जीवन का अंग बना लिया। अरविंद घोष ने कहा थाl “वन्दे मातरम् कोई गीत नहीं, यह वह मंत्र है जिसने भारत को एक राष्ट्र के रूप में जागृत किया।”
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को “वन्दे मातरम्” को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया। यह निर्णय इस गीत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्ता का औपचारिक सम्मान था। यद्यपि “जन गण मन” को राष्ट्रगान घोषित किया गया, किंतु “वन्दे मातरम्” को समान आदर और सम्मान के साथ राष्ट्र की पहचान के रूप में स्वीकार किया गया।
“वन्दे मातरम्” का प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने साहित्य, संगीत, कला और जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र को स्पर्श किया। लता मंगेशकर, हेमंत कुमार और ए. आर. रहमान जैसे कलाकारों ने इसे अपने स्वरों में अमर कर दिया। जब यह गीत गूंजता है तो हर भारतीय का हृदय गर्व और श्रद्धा से भर उठता है। सिनेमा, रंगमंच और राष्ट्रीय आयोजनों में यह गीत आज भी भारतीय अस्मिता और एकता का प्रतीक बना हुआ है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब भारत आत्मनिर्भरता, विज्ञान, संस्कृति और नवाचार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है, तब “वन्दे मातरम्” का संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। यह गीत स्मरण कराता है कि राष्ट्रप्रेम केवल भावनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि कर्म, निष्ठा और उत्तरदायित्व का प्रतीक है। नई पीढ़ी के लिए यह गीत प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें यह सिखाता है कि मातृभूमि की सेवा ही सर्वोच्च धर्म है।
150 वर्षों की इस यात्रा में “वन्दे मातरम्” ने समय, सत्ता और पीढ़ियों की सीमाओं को पार कर लिया है। यह गीत भारतीय एकता, आत्मगौरव और मातृभक्ति की शाश्वत भावना का प्रतीक है। जब भी यह स्वर गूंजता है, तब भारत की आत्मा में वही चेतना जाग उठती है, जिसने कभी स्वतंत्रता संग्राम को जन्म दिया था।
वन्दे मातरम्, भारत की आत्मा की अनंत ध्वनि, जो युगों-युगों तक अमर रहेगी।

rkpNavneet Mishra

Recent Posts

सूर्यकुमार यादव भड़के मैदान पर! चौथे टी20 में शिवम दुबे पर फूटा गुस्सा, जानें पूरा मामला

कैरारा ओवल/ऑस्ट्रेलिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए चौथे टी20…

11 minutes ago

बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में रिकॉर्ड वोटिंग, ‘सुशासन बनाम रोजगार’ की जंग हुई तेज — जानें 10 बड़ी अपडेट्स

पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान गुरुवार…

1 hour ago

इतिहास के आईने में 7 नवंबर – बदलाव, बलिदान और बौद्धिकता का प्रतीक दिवस

महत्वपूर्ण कार्य,जन्म से निधन तक 7 नवंबर का दिन मानव सभ्यता के इतिहास में अनेक…

1 hour ago

मौसम अपडेट: सुबह हल्की ठंड और धुंध, दोपहर में निकलेगी चटख धूप

लखनऊ/उत्तर प्रदेश (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर प्रदेश में मौसम के मिजाज में हल्का बदलाव…

1 hour ago

एक अद्भुत रहस्य जो सृष्टि की शुरुआत से जुड़ा है

सनातन संस्कृति में भगवान शिव केवल देव नहीं, बल्कि सृष्टि, स्थिति और संहार के मूल…

2 hours ago

🔱 “आज का शुभ दिन: यात्रा, दान और आराधना से कैसे बनेंगे बिगड़े काम”

🌞07 नवम्बर 2025: सुख, सिद्धि और सौभाग्य का अद्भुत संगम — आज का शुभ पंचांग…

10 hours ago