नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह नया शुल्क सोमवार सुबह 9:30 बजे से लागू हो गया है। इसके साथ ही भारत पर कुल दंडात्मक शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय तब लिया गया जब भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद रूसी तेल की खरीद से पीछे हटने से इनकार कर दिया। वॉशिंगटन का मानना है कि रूस से तेल की खरीद जारी रखना उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करता है, वहीं भारत का कहना है कि उसकी प्राथमिकता सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराना और घरेलू जरूरतों को पूरा करना है।
विश्लेषकों की चेतावनी
आर्थिक विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि इस टैरिफ वृद्धि का असर सिर्फ तेल क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत के अन्य निर्यात क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी और ऑटो पार्ट्स जैसे सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह विवाद लंबा खिंचता है तो भारत की विकास संभावनाओं और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा पर भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
भारत का रुख
नई दिल्ली ने अब तक इस फैसले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा और अपनी राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ही निर्णय लेगा।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों देशों के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग को मजबूत करने की कोशिशें हो रही थीं। अब देखना होगा कि यह व्यापारिक टकराव आगे दोनों देशों के रिश्तों पर कैसा असर डालता है।
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