June 9, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

पुण्यतिथि पर याद किए गए त्रिगुणानन्द जनता इण्टर मीडिएट कालेज के संस्थापक: स्व त्रिगुणानन्द पांडेय

भाटपार रानी देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
स्थानीय तहसील स्थित बनकटा विकास खण्ड क्षेत्र के लोगों में शिक्षा की अलख जगाने एवं सर्व प्रथम जनता महाविद्यालय की स्थापना कर आप ने जो नाम दिए वह जनता महाविद्यालय के रूप किन्हीं तकनीकी कारणों से संचालित नहीं हो सका था। जो फिर भी इस पिछड़े इलाके में स्थापित प्रथम इंटर कालेज के रूप में जनता इंटर कालेज के नाम पर संचालित होता रहा। आगे आप के निधन के उपरांत त्रिगुणानन्द जनता इण्टर कालेज के नाम से वर्तमान समय में विद्यमान है। एक डिग्री कॉलेज के रूप में विस्तार देने हेतु जीवन पर्यन्त आप कार्यशील रहे। पुण्यतिथि दिवस के अवसर पर स्वर्गीय त्रिगुणानन्द पांडेय। को उनके चाहने वाले लोगों ने याद किया है। जो उत्तर प्रदेश पूर्वांचल के बनकटा क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने वाले मालवीय जी के समान निरंतर कार्य शील रहे थे। जीवन परिचय स्व0 त्रिगुणानन्द पांडेय
आप का जन्म भाटपार रानी तहसील के बनकटा थाना क्षेत्र में स्थित बंजरिया ग्राम में 1 अप्रैल 1921 में हुआ था। जो गांव का एक सामान्य परिवार था। आप के पिता का नाम स्व राम निहोरा पांडेय था। प्राथमिक शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा बगल स्थित सोहनपुर एवं सन 1941 में सेंट्रल स्कूल वाराणसी, सन 1943 डी0 ए0 वी0 वाराणसी इंटरमीडिएट, 1945 काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी बी0 ए0, की पढ़ाई पूरी की उसी समय में लाल किले नामक पुस्तक की रचना भी की। जो उनके क्रांतिकारी विचारों का प्रमाण रहा। प्रारंभिक शिक्षा बगल के सोहनपुर में, एवं 1941 में सेंट्रल स्कूल वाराणसी,1943 में डीएवी वाराणसी इंटमीडिएट ,1945 काशी हिंदू यूनिवर्सिटी से बीए0 , के बाद आप 1943में पण्डित कमलापति त्रिपाठी के संपर्क में आए। जो एक संसार दैनिक में संपादक के रूप में कार्य करने लगे। कुछ वर्षों के बाद बाबा राघवदास के आग्रह पर आप बाबा राघवदास इंटर कॉलेज में एक कुशल अध्यापक के रूप में कार्य करने लगे जो आगे चल कर आप प्रधानाचार्य के पद से 30 जून 1981 तक अध्यापन कार्य करने के उपरांत पद से रिटायर्ड हुए। शिक्षण कार्य करते हुए भी आप निरंतर समाज सेवा का कार्य करते हुए दैनिक एवं आज भारत के प्रतिनिधि रहे। जो एक शिक्षक पत्रकार एवं राजनीतिक विचारधारा से भी जुड़े रहे। आप अविभाजित कांग्रेस कमेटी देवरिया में करीब 8 वर्षों तक महामंत्री रहे। जिला परिषद उपाध्यक्ष, एवं केन यूनियन अध्यक्ष, सहित जिला सहकारी संघ के महामंत्री भी रहे। शिक्षा के क्षेत्र में भी आपकी गहरी रुची थी। सैकड़ों प्राथमिक विद्यालयों खुलवाए जाने सहित सन 1953में जनता महाविद्यालय एवं इंटर कालेज बंधी मठ भिन्नगारी, इंटर कालेज सुतावर, में कई वर्षों तक प्रबंधक रहे साथ ही आप को संत विनोबा डिग्री कॉलेज के संस्थापकों में मुख्य स्थान प्राप्त था। प्रबंधन और उपाध्यक्ष के पद पर भी 5 वर्षों तक कार्य किए। आप भारत चीन युद्ध के समय पंडित नेहरू के अपील पर सोने से तौलने के लिए सोना एकत्र करने में भी आप ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी श्री सोमनाथ पंडित के साथ इस काम में आप ने सक्रिय सहयोग किया दिया था। श्री हेमवंतीनंदन बहुगुणा आप के परम मित्र थे। अखिल भारतीय कांग्रेस दुर्गापुर, अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के दो प्रतिनिधियों को भाग लेना था। जिनमें आप का नाम भी शामिल था। आप की वाकशक्ति सहित ग्रामीण अंचलों की आप द्वारा रखी गई जन समस्याओं से प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे और दुर्गापुर अधिवेशन में आप को अपने गले लगाया था। वे सही मायने में एक सच्चे समाजवादी थे। इसलिए उनका सादा जीवन उच्च विचार अहंकार रहित स्वभाव बरबस ही आज के परिवेश में भी बर्बस ही लोगों को अपनी ओर खींचता रहता है। निधन आप का निधन 5 जून 1983 को आप के मूल एवं पैतृक ग्राम बंजरिया में हो गया।