कल तक प्रकृति नाराज़ थी

कल तक प्रकृति नाराज़ थी,
मानसून अब तक नासाज़ था,
आज यहाँ भी अति वृष्टि है,
बरसात का अब आगाज है।

आधा सावन बीत गया था,
पावन मास शिव जी का यह,
काले मेघ गगन आच्छादित,
आकर हो जाते थे बिदलित।

इंद्रदेव क्षेत्र से अब प्रसन्न हैं,
अवधखण्ड में अब झमाझम है,
लखनऊ से रामलला की अवध
पुरी तक बारिस ही बारिस है।

रामलला की कृपा हुई अब,
मिली आज जनमानस को,
श्रद्धाभक्ति पर कृपा हुई है,
संत्रास मिट गया है सबको।

हे ईश्वर करते रहिए प्रजा पर,
आपके रामराज्य की आशा है,
आदित्य इंद्रदेव प्रसन्न रहिये,
सारे जनमानस को खुश रखिये।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

rkpnews@desk

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