विमानों में तकनीकी खामियों से बढ़ रही आम जनता की परेशानी, एयरलाइंस की लापरवाही पर अब भी नहीं लगी लगाम


अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे ने झकझोरा, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज की

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) देशभर में पिछले कुछ समय से विमानों में तकनीकी खामियों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यात्रियों के लिए यह महज यात्रा का साधन नहीं, बल्कि जीवन और मौत का प्रश्न बनता जा रहा है। आए दिन किसी न किसी एयरलाइंस की उड़ान में तकनीकी खराबी के कारण या तो आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ती है, या उड़ान को रद्द करना पड़ता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन घटनाओं के पीछे लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी का आरोप लग रहा है।

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह महीनों में देशभर में 35 से अधिक उड़ानों में तकनीकी खामी सामने आई है, जिनमें से कई को बीच आसमान में ही वापस लौटना पड़ा या नजदीकी एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी। यात्रियों की जान सांसत में डालने वाली इन घटनाओं के बाद भी एयरलाइंस कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती नजर आती हैं।
इन घटनाओं की पराकाष्ठा उस समय देखने को मिली, जब अहमदाबाद से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI-237 में भयानक तकनीकी खराबी के कारण भीषण हादसा हो गया। यह हादसा इतना भयावह था कि इसमें 270 यात्रियों की जान चली गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। विमान के इंजन में अचानक आई खराबी और पायलट द्वारा दिए गए डिस्ट्रेस सिग्नल के बावजूद समय पर जरूरी सहायता नहीं मिल पाई, जिससे यह त्रासदी हुई।

इस हादसे के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। हवाई यात्राओं की सुरक्षा को लेकर न केवल आम नागरिकों ने, बल्कि सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व विमान चालकों ने भी सवाल उठाए।
हादसे के बाद एयरलाइंस कंपनियों द्वारा जारी बयान महज औपचारिकता तक ही सीमित रहे। न माफी, न कोई ठोस कार्ययोजना। कई यात्रियों के परिजनों ने आरोप लगाया कि कंपनियां मुआवजे और सहायता के नाम पर “लीपापोती” कर रही हैं। साथ ही, विमान की नियमित जांच-पड़ताल में लापरवाही की आशंका भी जताई गई।
हवाई यात्राओं की सुरक्षा बढ़ाने और एयरलाइंस की जवाबदेही तय करने को लेकर एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र सरकार और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) को आदेश दिया जाए कि वे सभी विमानों की अनिवार्य रूप से गुणवत्ता जांच करवाएं और लापरवाही बरतने वाली एयरलाइंस पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करें।

हालांकि, अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि यह “नीति निर्धारण” का विषय है और इसमें न्यायपालिका का हस्तक्षेप उचित नहीं है। इस फैसले के बाद पीड़ित परिवारों में नाराज़गी और गुस्सा और गहरा गया है

देश की जनता अब यह जानना चाहती है कि क्या आसमान में उड़ान भरना अब मौत को दावत देने जैसा बन चुका है? आखिर कब तक आम नागरिक लापरवाह प्रबंधन और जवाबदेही से बचती एयरलाइंस कंपनियों का शिकार बनते रहेंगे? और क्या नियामक संस्थाएं केवल “दुर्घटना के बाद जांच” तक सीमित रह जाएंगी।
हवाई यात्राओं की बढ़ती मांग के बीच सुरक्षा मानकों की गिरती गुणवत्ता देश के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। अहमदाबाद जैसे भीषण हादसे ने यह साबित कर दिया है कि अब केवल तकनीकी जांच ही नहीं, बल्कि व्यवस्थागत सुधार की भी सख्त ज़रूरत है। वरना अगला हादसा किसके साथ होगा, यह कहना मुश्किल है।

Editor CP pandey

Recent Posts

यूपी स्मार्ट प्रीपेड मीटर घोटाला: 6.22 लाख पुराने मीटर गायब, निगम को लाखों का चूना!

लखनऊ(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगाने के नाम पर…

3 minutes ago

लखनऊ में फर्जी फर्म से 8.81 करोड़ की जीएसटी चोरी, एफआईआर दर्ज

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) राजधानी में कर चोरी का बड़ा मामला उजागर हुआ है।…

11 minutes ago

एमपी हाईकोर्ट में हड़कंप : जज ने BJP विधायक पर डाला बड़ा आरोप, सुनवाई से किया इन्कार

विधायक हाईकोर्ट व आदेश की फोटो भोपाल (राष्ट्र की परम्परा) मध्यप्रदेश की राजनीति और न्यायपालिका…

18 minutes ago

ठेला लगाने वाले युवक की धारदार हथियार से हत्या, इलाके में मचा कोहराम

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)लार थाना क्षेत्र के मेहरौना गांव में मंगलवार की रात एक दिल दहला…

24 minutes ago

लिंपी से कराह रहे पशुपालक, सरकार खामोश!

सिकंदरपुर /बलिया(राष्ट्र की परम्परा) जिले में लिंपी बीमारी ने हालात बिगाड़ दिए हैं। पशु मर…

30 minutes ago

उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदारों को मिलेगा तहसीलदार का प्रभार

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) प्रदेश में लंबित राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए…

30 minutes ago