“3 दिसंबर: वह दिन जिसने इतिहास, कला, साहित्य और राष्ट्रनिर्माण को दिशा दी”
3 दिसंबर केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, कला, साहित्य, राष्ट्रनिर्माण और खेल जगत को अप्रतिम प्रतिभाएँ देने वाला एक गौरवशाली दिवस रहा है। इस दिन जन्मे कुछ महान व्यक्तित्वों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में क्रांति की, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा का मार्ग दिखाया। आइए जानते हैं ऐसे ही अमर नामों के जीवन और योगदान के बारे में—
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उनका जन्म बिहार के सिवान जनपद के जीरादेई गाँव में हुआ। वे एक साधारण किसान परिवार से आए थे, किंतु अपनी अद्भुत बुद्धिमत्ता और राष्ट्रभक्ति के बल पर उन्होंने इतिहास रच दिया। वे स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के निकट सहयोगी रहे और भारत के संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके नेतृत्व ने देश को लोकतांत्रिक मूल्यों की दिशा दी।
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खुदीराम बोस भारत के सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी शहीदों में से एक थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ। मात्र 18 वर्ष की आयु में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध आवाज उठाते हुए उन्हें फाँसी दे दी गई। उनकी शहादत ने युवाओं में क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित कर दी थी और वे आज भी देशभक्ति का प्रतीक हैं।
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नंदलाल बोस भारत के महानतम चित्रकारों में से एक थे। उनका जन्म मुंगेर जनपद, बिहार में हुआ। उन्होंने भारतीय कला को नई पहचान दी और शांति निकेतन में कला शिक्षा को एक नई दिशा दी। उनके बनाए चित्र आज भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ दांडी मार्च के दौरान पोस्टर बनाए थे, जो आज ऐतिहासिक धरोहर हैं।
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यशपाल हिन्दी साहित्य के एक यशस्वी कथाकार और निबंध लेखक थे। उनका जन्म पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुआ। वे एक क्रांतिकारी भी रहे और चन्द्रशेखर आज़ाद के साथ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। उनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थ और राष्ट्रभक्ति की झलक मिलती है। “दिव्या”, “झूठा सच” और “देशद्रोही” जैसे उपन्यास आज भी लोकप्रिय हैं।
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हिन्दी साहित्य के गंभीर, चिंतनशील और प्रखर विद्वान शिवनारायण श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश के एक साहित्यिक परिवेश में हुआ था। उन्होंने भाषा, साहित्य और संस्कृति पर गहन अध्ययन किया और कई महत्वपूर्ण निबंध और लेख लिखे। उनका योगदान विशेष रूप से साहित्यिक आलोचना में माना जाता है।
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प्रसिद्ध भारतीय भाषाविद् विनोद बिहारी वर्मा का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ। उन्होंने हिंदी और अन्य भाषाओं के संरचनात्मक अध्ययन पर कार्य किया तथा कई शोध-पत्र और पुस्तकें प्रकाशित कीं। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान आज भी अकादमिक जगत में मूल्यवान है।
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जनकवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। उनकी कविताएं अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की ताकत देती हैं। उनका लेखन व्यवस्था के प्रति एक क्रांतिकारी स्वर था।
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अरूप बसक भारत की राष्ट्रीय टेबल टेनिस टीम के प्रमुख कोच रहे हैं। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रशिक्षण से भारत के कई टेबल टेनिस सितारे उभरे हैं।
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मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट की महानतम खिलाड़ियों में एक हैं। उनका जन्म राजस्थान के जोधपुर मॉडल स्कूल, जोधपुर में हुआ, किंतु उनका पालन-पोषण हैदराबाद (तेलंगाना) में हुआ। वे टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान और सम्मान दिलाया है।
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3 दिसंबर – प्रेरणा का दिन
इन महान व्यक्तित्वों ने यह साबित कर दिया कि जन्म की तिथि नहीं, बल्कि कर्म, साहस और संकल्प इतिहास रचते हैं। 3 दिसंबर को जन्मे ये सभी व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र के स्तंभ बने और भारत को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक हुए।
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