दिनांक 25 अक्टूबर को अनेक प्रतिभाएँ जन्म ले चुकी हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी है। नीचे उन प्रमुख व्यक्तियों पर संक्षिप्त लेकिन विस्तृत विवरण प्रस्तुत हैं — उनके जन्म-स्थान, शिक्षा-पृष्ठभूमि, योगदान और प्रभाव को उजागर करते हुए।
- गुरजीत कौर (25 अक्टूबर 1995)
गुरजीत कौर पंजाब के अमृतसर जिले स्थित गाँव मियाड़ी कलाँ से हैं, जो 25 अक्टूबर 1995 को जन्मीं।
बाल-परिवार में किसान-पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने शिक्षा भी ग्रहण की, विशेष रूप से कट्टर हॉकी-कॅरियर के लिए 2011 में जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज में प्रशिक्षण आरंभ किया गया।
अपने करियर में वे भारतीय महिला हॉकी टीम की एक प्रमुख डिफेंडर और विशेष “ड्रैग-फ्लिकर” की भूमिका निभा रही हैं। उदाहरणस्वरूप, 2017 एशिया कप में उन्होंने 8 गोल किए और टीम को चैंपियन बनाने में योगदान दिया।
उनका योगदान सिर्फ स्पोर्ट्स तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने ग्रामीण पृष्ठभूमि की लड़कियों के लिए प्रेरणा-स्तंभ का काम किया है, तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भारत का नाम रोशन किया है। उनके खेल-शैली, लगन और परिणाम-प्रदर्शन ने उन्हें एक आदर्श स्वरूप बना दिया है। - ये भी पढ़ें –पार्थवी 2 मिनट 5 सेकेंड में शिव तांडव स्तोत्र सुनाकर बनाई रिकार्ड
- अडाला प्रभाकर रेड्डी (25 अक्टूबर 1948)
अडाला प्रभाकर रेड्डी का जन्म 25 अक्टूबर 1948 को आंध्र-प्रदेश के नेल्लोर जिले के नॉर्थ मोपुरू नामक स्थान में हुआ था।
उन्होंने इंटर (Higher Secondary) स्तर तक शिक्षा प्राप्त की थी और 1999 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने।
उनका राजनीतिक-सफर विभिन्न दलों से जुड़ा रहा—टीडीपी, कांग्रेस और बाद में वाईएसआर कांग्रेस में। 2019 में उन्होंने नेल्लोर लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में विजय प्राप्त की।
उनका योगदान मुख्य रूप से जन-कल्याण, ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय-प्रवर्तन से जुड़ा रहा। उन्होंने विधानसभा व लोकसभा स्तर पर विभिन्न समितियों में काम किया और अपने क्षेत्र में बेहतर बुनियादी सुविधाओं तथा नेटवर्किंग के लिए प्रयासरत रहे। - मुकुंदी लाल श्रीवास्तव (25 अक्टूबर 1896)
मुकुंदी लाल श्रीवास्तव का जन्म 25 अक्टूबर 1896 को मध्य-प्रदेश के सागर जिले के गोरझामर गाँव में हुआ था।
उन्होंने बी.ए. तथा पूर्व में एम.ए. (प्रीवियस) किया था, मनोवृत्ति-सहकारी माहौल में पढ़े-लिखे। अपनी प्रारंभिक विधा के युवा-काल (लगभग 15 वर्ष की उम्र में) से ही उन्होंने साहित्य-लेखन आरंभ कर दिया था।
उनका साहित्यिक योगदान अतुलनीय है—उन्होंने कई पुस्तकों का संपादन किया, ‘हिंदी शब्द संग्रह’, ‘बृहत् हिंदी कोश’ आदि तैयार किए, साथ ही अनुवाद एवं निबंध रचना की।
उनकी कड़ी मेहनत, भाषा-विविधता के प्रति समर्पण और हिंदी साहित्य के विकास में दिये गये योगदान ने उन्हें हिन्दी-विश्व में एक सम्मानित स्थान दिलाया। - ये भी पढ़ें –परिवार से जुड़ाव
- पाब्लो पिकासो (25 अक्टूबर 1881)
पाब्लो पिकासो का जन्म 25 अक्टूबर 1881 को स्पेन के मालागा नगर में हुआ था।
उनके पिता चित्रकार एवं कला शिक्षक थे, जिन्होंने पिकासो को बचपन से ही चित्रकलायें सिखाईं। पिकासो ने मात्र सात वर्ष की उम्र में चित्रकला आरंभ कर दी थी।
उनकी कला-यात्रा ने आधुनिक कला-दृष्टिकोण, क्यूबिस्म, सुररियलिज्म इत्यादि को आकार दिया। उनकी शैली ने 20वीं सदी की कला को नई दिशा दी। मालागा-संस्कृति, भूमध्यसागरीय रंग-भूमि ने उनके काम को विशेष रूप दिया।
उनका योगदान सिर्फ कला तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने विश्व-व्यापी कला-संस्कृति, चित्रप्रयोग और अभिव्यक्ति की सीमाओं को चुनौती दी, तथा लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने।
इन व्यक्तित्वों — खेल की गहराई में उतरने वाली गुरजीत कौर, राजनीति-सेवा में समर्पित अडाला प्रभाकर रेड्डी, भाषा-संपदा की संरक्षक मुकुंदी लाल श्रीवास्तव तथा विश्व-कला को नया आयाम देने वाले पाब्लो पिकासो — ने अपने-अपने क्षेत्र में “25 अक्टूबर” को सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि उत्कृष्टता, संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक बना दिया है। इनके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि जन्म-तिथि चाहे सामान्य हो, लेकिन संकल्प, प्रयास और समर्पण के आगे हर सीमा पारी जा सकती है।