84वें जन्मदिन पर विशेष: बेदाग छवि और अटल निष्ठा के प्रतीक हैं कलराज मिश्र

भाजपा के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के राज्यपाल रह चुके कलराज मिश्र का जीवन एक प्रेरक गाथा है

नई दिल्ली/गाजीपुर, (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)भारतीय राजनीति के उन चुनिंदा चेहरों में एक हैं कलराज मिश्र, जिन्होंने अपने लंबे राजनीतिक सफर में सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। आज वह अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं, और इस मौके पर उनके जीवन की कुछ रोचक, प्रेरक और ऐतिहासिक बातें जानना लाजिमी हो जाता है।

संघ से शुरू हुआ सफर

01 जुलाई 1941 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मलिकपुर गांव में जन्मे कलराज मिश्र का जुड़ाव बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हुआ। संघ के अनुशासन और विचारधारा ने उन्हें इस कदर प्रभावित किया कि वह पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। फिर धीरे-धीरे उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में कदम रखा और भारतीय जनता युवा मोर्चा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने — यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।

अयोध्या आंदोलन के अग्रणी योद्धा

राजनीतिक इतिहास में बाबरी आंदोलन को लेकर कलराज मिश्र की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उस दौर में वह उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और विधायक थे। जब पार्टी के कई नेता असमंजस में थे, तब उन्होंने दृढ़ता से कहा था — “हम सरकार बनाएंगे, और अपने दम पर बनाएंगे।”
साल 1991 के चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके एक साल बाद बाबरी ढांचा गिराया गया। यह समय कलराज मिश्र की राजनीतिक दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण था, लेकिन उन्हें शायद वह राजनीतिक श्रेय नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।

अटल जी के प्रिय और पूर्वांचल के स्वप्नदृष्टा

अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे कलराज मिश्र उत्तर प्रदेश में भाजपा का एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा रहे हैं। जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी, तो उन्हें लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) सौंपा गया। उन्होंने इस विभाग के जरिए पूर्वांचल के आर्थिक विकास के लिए कई योजनाएं बनाई और लागू कीं। यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि उन्होंने क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के लिए योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करवाया।

देरी से मिला सम्मान, लेकिन रहा बेदाग सफर

राजनीति में ऐसे बहुत कम चेहरे हैं, जिनका चरित्र बेदाग रहा हो, और कलराज मिश्र उन्हीं में से एक हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद भले ही उन्हें राज्यपाल पद के लिए इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन जब उन्हें हिमाचल प्रदेश और फिर राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया, तो ऐसा लगा जैसे पार्टी ने अपने वरिष्ठ सिपाही को सम्मान लौटाया हो।

निष्कलंक छवि, मजबूत विचारधारा

84 वर्ष की उम्र में भी कलराज मिश्र का जीवन बताता है कि राजनीति केवल पद पाने का साधन नहीं, बल्कि सेवा और सिद्धांतों का माध्यम भी हो सकती है। वह आज भी युवाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण हैं कि कैसे संगठन में रहते हुए, त्याग और निष्ठा से राजनीति को स्वच्छ और प्रभावी बनाया जा सकता है।

Editor CP pandey

Recent Posts

सांदीपनि मॉडल विद्यालय में सृजन महोत्सव-2025 का भव्य आयोजन

चितरंगी/मध्य प्रदेश (राष्ट्र की परम्परा)। शासकीय सांदीपनि मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चितरंगी में मंगलवार को…

7 hours ago

कौशल विकास से रोजगार की ओर बढ़ते कदम

आगरा (राष्ट्र की परम्परा)l जनपद आगरा के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) बल्केश्वर में 23…

7 hours ago

महिलाआयोग अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने अधिकारियों को दिए त्वरित न्याय के निर्देश

आगरा (राष्ट्र की परम्परा)l उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने…

7 hours ago

बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या के विरोध में आक्रोश, लगाए “बंगला देश मुर्दाबाद” के नारे

सलेमपुर/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)l सलेमपुर नगर के सोहनाग मोड़ पर मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदू…

7 hours ago

विकास भवन में सुशासन पर मंथन, अधिकारियों को मिला प्रशासनिक मार्गदर्शन

आगरा(राष्ट्र की परम्परा)l सुशासन सप्ताह – प्रशासन गांव की ओर कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद आगरा…

8 hours ago

30 दिसंबर तक स्वीकार होंगी पंचायत निर्वाचक नामावली पर आपत्तियां

आगरा।(राष्ट्र की परम्परा)जनपद आगरा में आगामी पंचायत चुनावों की तैयारियों के तहत पंचायत निर्वाचक नामावली…

8 hours ago